म्हाडा ने अपनी ७०० खतरनाक इमारतों में से २० को अति धोखादायक बताया है। म्हाडा अधिकारियों के अनुसार, गिरगांव, कालबादेवी, खेतवाड़ी, कमाठीपुरा और वीपी रोड सहित क्षेत्रों में ये २० इमारतें ८० साल से अधिक पुरानी हैं। यहां ५४५ इमारतें आवासीय हैं। और २१ इमारतें गैर आवासीय हैं। आवासीय इमारतों में से कुल २० उच्च जोखिम वाली इमारतें हैं।
रामदिनेश यादव / मुंबई
मानसून के दौरान मुंबई सहित आसपास के क्षेत्रों में जर्जर इमारतों के ढहने का खतरा बना रहता है। मुंबई में जर्जर इमारतों की संख्या लगभग ६ हजार है, जबकि १८८ इमारतें अति जर्जर हालत में हैं। मुंबई की इन अति जर्जर इमारतों में लगभग २,३०० परिवार रहते हैं। अगर एक परिवार में औसत तीन लोग भी रहते हैं तो कुल मिलाकर करीब ७,००० लोगों की जान खतरे में है। अब मनपा ने इन इमारतों के निवासियों को वहां से हटने का निर्देश दिया है। मगर लोगों की परेशानी ये है कि वे जाएं तो कहां जाएं?
मनपा के अधिकार क्षेत्र में आने वाली इन १८८ अति जर्जर इमारतों को मनपा अधिनियम, १८८८ की धारा ३५४ के तहत आधिकारिक तौर पर ‘खतरनाक और अति जर्जर घोषित किया गया है। इनमें से २७ शहर, ११४ पश्चिमी उपनगर और ४७ पूर्वी उपनगर में हैं। मनपा के बार-बार नोटिस देने और अपील करने के बावजूद कई इमारतों को लोग खाली नहीं कर रहे हैं। मनपा सूत्रों का कहना है कि इन इमारतों में अब भी लगभग २,३०० परिवार रह रहे हैं।
जर्जर इमारतों की सबसे अधिक संख्या के / वेस्ट वॉर्ड (अंधेरी, जुहू, विले पार्ले) में है जहां कुल २८ इमारतें हैं। इसके बाद पी / नॉर्थ वॉर्ड (मालाड पूर्व और पश्चिम) में २२ ऐसी खतरनाक इमारतें हैं। इसके अतिरिक्त, आर सेंट्रल वॉर्ड (बोरीवली पश्चिम) में १९ इमारतों को खतरनाक घोषित किया है। सी / वॉर्ड (धोबी तलाओ) में केवल एक इमारत जर्जर है। जानकारी के अनुसार ५ वर्ष पहले मनपा ने मुंबईभर में कुल ४१९ आवासीय इमारतों को अति जर्जर एवं खतरनाक पाया था। उनमें से १९३ इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया है। १०० से अधिक इमारतों के खिलाफ अदालत में मामले लंबित हैं। ८२ इमारतों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया था। कुछ में बिजली और पानी के कनेक्शन बंद कर दिए गए थे।
अन्य शहरों का भी यही हाल
मुंबई से सटे ठाणे में भी ४ हजार से अधिक खतरनाक इमारतों में से ७२ इमारतें बेहद खतरनाक हैं। उसी तरह नई मुंबई, कल्याण और उल्हासनगर में भी क्रमश: ५४५, ६८ तो ४३ इमारतें बेहद खतरनाक सूची में हैं। इसे लेकर प्रशासन भी टेंशन में है। इनमें रहने वालों को प्रशासन हटाना तो चाहता है, लेकिन बिना कोई उचित व्यवस्था के कोई घर खाली नहीं करना चाहता।