सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों की सेवा में रोजाना ३२०४ लोकल सेवाएं चलती हैं। यह मुंबई की लाइफलाइन है। पर इस बजट में ‘लोकल’ के साथ फिर लूट की गई है। इस बार एमयूटीपी-३ के लिए सिर्फ ९०८ करोड़ दिए गए हैं। इस बात की जानकारी खुद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी है। बता दें कि मुंबई की लोकल सेवाएं भारी मात्रा में राजस्व उत्पन्न करती हैं, फिर भी उनके लिए बजट के नाम पर झुनझुना थमाया गया है।
सरकार के इस रवैये पर मुंबईवासियों में गहरा असंतोष और आक्रोश पैदा हो गया है। गौरतलब है कि मुंबई की इन उपनगरीय सेवाओं से रोजाना करीब ७० लाख यात्री सफर करते हैं।
लोकल सेवा की विकास योजनाएं होंगी प्रभावित!
मुंबई की लोकल के लिए इस बजट में काफी कम पैसा दिया गया है। इससे मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इस साल के बजट में महत्वपूर्ण एमयूटीपी-३ (मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट-३) को मात्र ९०८ करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह बजट परियोजना की विशालता और महत्व को देखते हुए बेहद कम है, जिससे शहर के विकास को बड़ा झटका लगा है।
एमयूटीपी-३ परियोजना का उद्देश्य एमएमआर की उपनगरीय आबादी को उच्च क्षमता और सुरक्षित अंतर-क्षेत्रीय संपर्क प्रदान करना था। इस परियोजना में चार जरूरी संकल्प हैं। विरार-दहानू रोड कॉरिडोर का चौगुना विस्तार। ६४ किमी लंबे इस कॉरिडोर का चौगुना विस्तार उपनगरीय क्षेत्रों की सेवा और परिधीय क्षेत्रों को मुंबई से जोड़ने के लिए आवश्यक था। बजट की कमी से यह महत्वपूर्ण विस्तार अधूरा रह जाएगा। पनवेल और कर्जत के बीच नया उपनगरीय रेलवे कॉरिडोर। २८ किमी लंबे इस नए रेलवे कॉरिडोर का निर्माण तेजी से शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि की मांग को पूरा करने के लिए था। लेकिन अपर्याप्त बजट के कारण यह परियोजना भी अधर में लटक गई है। मौजूदा लाइनों पर ३६ प्राथमिकता वाले खंडों पर ट्रैक अलगाव और सुरक्षा उपाय किए जाने थे। बजट की कमी से घातक दुर्घटनाओं को कम करने के ये प्रयास भी प्रभावित होंगे। परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करना जरूरी था, लेकिन सीमित बजट से यह संभव नहीं हो पाएगा। मुंबई के नागरिकों के लिए यह बजट निराशाजनक है।