मुख्यपृष्ठग्लैमरप्यार सबसे खूबसूरत एहसास है!-अभिषेक बजाज

प्यार सबसे खूबसूरत एहसास है!-अभिषेक बजाज

करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से फिल्मों में डेब्यू करनेवाले अभिनेता अभिषेक बजाज फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’, ‘क्या मस्ती क्या धूम’ तथा ‘बबली बाऊंसर’ में भी नजर आए। नॉन फिल्मी परिवार से आए रौबीले व्यक्तित्व के धनी अभिषेक नए टीवी शो ‘ज्यूबिली टॉकीज- शोहरत, शिद्दत, मोहब्बत’ के कारण चर्चा में हैं। पेश है, अभिषेक बजाज से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
इस शो ‘ज्युबिली टॉकीज- शोहरत, शिद्दत, मोहब्बत’ करने की क्या वजह रही?
मुझे जब इस शो का ऑफर मिला तो मैंने कहानी सुनना चाहा क्योंकि कई बार कहानियों में कोई नयापन नहीं होता। कहानी में नयापन हो तो दर्शक उसे जरूर पसंद करते हैं। जब मैंने ‘ज्युबिली टॉकीज’ की कहानी सुनी तो इस कहानी से मैं दंग रह गया। जितनी अनोखी इसकी कहानी है उतने ही चैलेंजिंग हैं इसके किरदार।
इस किरदार के साथ आप कितना रिलेट करते हैं?
यह जरूरी नहीं कि फिल्म, टीवी या ओटीटी पर काम करनेवाले कलाकार अपने किरदारों के साथ रिलेट करें। शायद कोई एकाध बात होती है जहां किरदार के कुछ गुण मूल कलाकारों के स्वभाव या व्यक्ति विशेष से जुड़ जाते हैं या उससे मिलते हैं।
किसी बॉलीवुड हीरो से आपने इस किरदार को निभाने की प्रेरणा ली?
मैंने किसी भी हीरो से कोई टिप्स या प्रेरणा नहीं ली। मेरी कोशिश यही थी कि मेरा किरदार जितना हो सके रियल महसूस हो। किसी बॉलीवुड हीरो की कॉपी न लगे। मैंने यह प्रयास किया कि मैं अपनी एक्टिंग स्किल और मेरी काबिलियत के अनुसार अयान ग्रोवर बन सकूं।
असलियत में क्या कोई सुपर स्टार आम लड़की से प्यार नहीं कर सकता?
प्यार सबसे खूबसूरत एहसास है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां ऐसे दो व्यक्तियों में प्यार होता है, जिनका कोई मेल नहीं होता। अलग धर्म, जाति, समुदाय और अलग देशों के दो प्रेमियों में भी प्रेम हो जाता है।
सुना है आप एक्टिंग में आना नहीं चाहते थे?
क्या बताऊं? मैं पढ़ने में माहिर था। इकोनॉमिक्स मेरा पसंदीदा विषय था। डिस्टिंक्शन ले आता था। मुझे बारहवीं में ९० प्रतिशत मार्क्स मिले थे। मैंने सोचा नहीं तय किया था कि मुझे सीबीआई ऑफिसर बनना है। मुझे सीबीआई ऑफिसर बनने का एक पैâसिनेशन था। मैं छुट्टियों में दिल्ली से मुंबई आया। बस, यूं ही मैंने ऑडिशन दिया और मात्र ६ महीने में मैंने १८ कमर्शियल्स किए, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सच तो यही है, बस टाइम पास के तौर पर मैंने ऑडिशन दी थी, लेकिन मैं हर ऑडिशन पास होता गया और एक एक्टर के रूप में मैं आज आपके सामने हूं।
फिल्मों में डेब्यू करने के बाद फिल्मों को छोड़ टीवी की ओर क्यों मुड़ गए?
मुझे फिल्मों के लिए मौका मिला और मैंने अच्छी फिल्में की, लेकिन जब इस शो में मुझे सुपरस्टार का किरदार मिला तो जाहिर सी बात है मैं इसे वैâसे मना करता?
फिल्मों और टीवी की शूटिंग में आपको क्या फर्क महसूस होता है?
टीवी के लिए वर्क कल्चर बहुत फास्ट होता है। अगर डेली शो है तो महीने के २०-२२ दिन शूटिंग करनी पड़ती है। फिल्म की शूटिंग वैसे ६ महीने में कम्प्लीट हो जाती है, पर पोस्ट प्रोडक्शन में कभी ३ महीने लगते हैं। किस तरह की फिल्म, किस तरह का टीवी शो आप क्या कर रहे हैं, उस पर भी फिल्म और टीवी के कामकाज और बजट में फर्क पड़ता है, लेकिन सच्चा कलाकार फिल्म हो, टीवी हो या ओटीटी हर माध्यम पर लगन और निष्ठा से काम करता है।

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