मां

 

पंख लगे हों तन पर फिर भी,

उड़ने को हो लाचार,

आसमान को छूने की,

उम्मीद दिलाए सभी की मां।

दुनिया का राज मिले भले,

जीवन हो गुल-पोश,

पर जीने का अर्थ सिखाए,

एहसास दिलाए प्यारी मां।

तनावों के नाग लिपटें जब,

भूले चंदन की महक,

तब सूने मन के आँगन में,

सुगंध बिखेरे प्यारी मां।

कस्तूरी से अंजान मृग,

मन डोले जहां-तहां,

भीतर बसी उस खुशबू का,

भेद बताए प्यारी मां।

राजा सा वैभव मिल जाए,

तप से निखरे सारा जहां,

ख़्वाबों का महल रचाए,

संबल बन जाए प्यारी मां।

रेत के घरोंदों में उलझी राहें,

मंज़िल जब हो कोसों दूर,

मां के आशीष से दिशा मिले,

होता हर मोड़ जीवन का रोशन ।

 

मुनीष भाटिया 

5376, ऐरो सिटी
मोहाली

 

अन्य समाचार