जय सिंह
बिहार से अलग होकर बनाए गए एक नए राज्य को पतरातू जैसी झील वाले पर्वतों के बीच बसा शहर मिला तो जमशेदपुर जैसा स्टील सिटी भी मिला, कहने का मतलब साफ है कि जब झारखंड को अच्छी सिटी, रोजगार मिला तो आखिर गैंगस्टर कहां जाते। झारखंड का सबसे खूंखार गैंगस्टर, जिसके नाम से पूरा राज्य कांपता है। स्टील सिटी जमशेदपुर के हर कारोबारी इस नाम से ही खौफ खाते हैं। इस गैंगस्टर के खिलाफ ५६ से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसका नाम है अखिलेश सिंह। अखिलेश सिंह जमशेदपुर के सिदगोड़ा में रहता है। फिलहाल, दुमका जेल में बंद है। वह बिहार के बक्सर का मूल निवासी है। फरारी के दिनों में वह बिहार में ही छुपा करता था। अगर झारखंड के सबसे खूंखार गैगस्टर्स की सूची बनाई जाए तो उसमें अखिलेश सिंह का नाम सबसे ऊपर आएगा।
बता दें कि पढ़े-लिखे परिवार में जन्मे अखिलेश सिंह के पिता चंद्रगुप्त सिंह खुद पुलिस में रह चुके हैं। वे झारखंड पुलिस मेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। फिलहाल, चंद्रगुप्त सिंह रिटायर्ड हैं और राजनीति में सक्रिय नजर आते हैं। दरअसल, जमशेदपुर में अखिलेश सिंह की तूती बोलती है। वहां के व्यावसायियों में अभी भी अखिलेश सिंह का खौफ दिखता है। यहां तक कि टाटा स्टील के बड़े अधिकारी भी अखिलेश सिंह से डरते हैं। अखिलेश सिंह के माफिया बनने की भी कहानी है। पिता पुलिस का बेटा व्यापार करने के हिसाब से ट्रांसपोर्ट के धंधे से जुड़ गया, तभी जमशेदपुर के ट्रांसपोर्टर अशोक शर्मा की हत्या कर दी गई और इसका आरोप अखिलेश पर मढ़ दिया गया। साथ ही व्यवसायी ओमप्रकाश काबरा की किडनैपिंग का भी इल्जाम अखिलेश सिंह के सर पर ही था। हालांकि, कुछ दिनों के बाद अखिलेश सिंह को इन दोनों मामलों में जमानत मिल गई थी। उसके बाद अखिलेश सिंह का दबदबा इलाके में बढ़ता चला गया। अब अखिलेश व्यवसायी के रूप में नहीं, बल्कि गैंगस्टर अखिलेश सिंह के नाम से जाना जाने लगा। जब अखिलेश सिंह गैंगस्टर के रूप में चर्चित हुआ तो उसके मददगार के रूप में सोनू सिंह और विनोद सिंह का नाम आया। ये दोनों शॉर्प शूटर के रूप में जाने जाते थे। बागबेड़ा कॉलोनी निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह को जमशेदपुर कोर्ट परिसर के बाहर भवन में ३० नवंबर २०१६ को गोली मार दी गई थी। यहां घटनास्थल पर ही भीड़ ने सोनू सिंह और विनोद सिंह को घेरकर पकड़ लिया था, जिसके बाद सीता रामडेरा थाने की पुलिस ने इन दोनों शूटरों को अपनी हिरासत में लिया था। दोनों के पास से पिस्तौल कारतूस और अन्य सामान भी बरामद किए गए थे।
अखिलेश सिंह के बाद अगर गिरोह में किसी का खौफ चलता है तो वह है सोनू सिंह। सोनू सिंह के नाम से कई व्यवसायी पार्टी को फंड देने को मजबूर हैं। सोनू सिंह जितना खूंखार बताया जाता है, उतना ही तेज दिमाग का भी है। बताया जाता है कि सोनू सिंह का निशाना कभी चूकता नहीं है। अखिलेश सिंह ने ऐसे गुर्गों की बदौलत ही अपना वर्चस्व कायम किया है। सोनू सिंह गिरोह के प्रति वफादार भी बताया जाता है। कई बार अखिलेश सिंह के इशारे पर सोनू सिंह ने काफी लोगों को मौत के घाट उतारा है। दोनों शूटरों को आर्म्स एक्ट के मामले में तीन-तीन साल की सजा २७ जुलाई २०२२ को जमशेदपुर न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी एनजेला जॉन की अदालत ने सुनाई थी। उपेंद्र सिंह हत्या मामले में अखिलेश सिंह, हरीश सिंह, जसवीर सिंह, संजय जोजो, विनोद सिंह, सोनू सिंह समेत १० के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हत्या के मामले में अखिलेश सिंह के गुर्गे हरीश सिंह को झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिली है। अखिलेश सिंह के खिलाफ ५६ से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें उपेंद्र सिंह हत्याकांड, आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी, दस्तावेज की हेराफेरी, जयराम सिंह, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड समेत अन्य मामले हैं। साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। २००७ में उसे उच्च न्यायालय से पैरोल मिला था, लेकिन इसके बाद वह समय पर अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। दोबारा वह दिल्ली के नोएडा से २०११ में पकड़ा गया था। २०१५ में उसे कुछ शर्तों के साथ झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। इस बीच सोनारी के अमित सिंह और उपेंद्र सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ। जमशेदपुर की पुलिस ने उसे गुरुग्राम से अक्टूबर २०१७ को पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था। वो अभी जेल में ही है।
(अगले अंक में पढ़ें…प्रतापगढ़ का सवा लखिया माफिया)