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उत्तर के माफिया! भोपाल के माफिया की दर्दनाक मौत, बूंद-बूंद पानी को तरसा माफिया!

जय सिंह:

अपराध की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना बहुत आसान काम है, लेकिन रहकर उसको जीना आसान नहीं होता। जिंदगी जितनी आसान लगती है, मौत उतनी ही भयानक होती है। ऐसी ही कहानी है भोपाल के एक गैंगस्टर की, जो जब तक जीया नाम रहा, लेकिन मौत बद से बदतर मिली। यह गैंगस्टर कोई और नहीं भोपाल का मुख्तार मलिक था, जिस पर २१ साल की उम्र में ही रेप का आरोप लगा। उसे जेल भेज दिया गया। मुख्तार मलिक पर ६१ साल की उम्र तक ५८ मामले दर्ज हुए थे। अपराध के दम पर उसने करोड़ों की संपत्ति बनाई। ठेका-पट्टा से लेकर कई तरह के धंधों में हाथ आजमाया।
मुख्तार मलिक का नाम भरे बाजार में मध्य प्रदेश के एक एसपी को थप्पड़ मारने से हुआ। इस डॉन से अफसर, नेता घबराते थे। हालांकि, उसकी मौत गीदड़ जैसी हुई है। झालावाड़ जिले के असनावर थाना क्षेत्र में भीमसागर बांध के केचमेंट क्षेत्र में दो गैंग में हुए खूनी संघर्ष के बाद भोपाल का डॉन मुख्तार मलिक गंभीर रूप से घायल अवस्था में तड़पता मिला। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे गाड़ी में असनावर चिकित्सालय लाया। उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने झालावाड़ रेफर कर दिया, लेकिन बीच रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। दर्जनों गुर्गों से घिरे रहनेवाले मुख्तार की जब मौत हुई तो वो राजस्थान के झालावाड़ा के वीरान जंगल में अकेले था और दो बूंद पानी के लिए तरस रहा था। भागते-भागते उसके पैर में छाले पड़ गए थे। भीषण गर्मी में तीन दिन व दो रात भूखा-प्यासा जंगल में छिपे रहने से मुख्तार के पांव की चमड़ी काली पड़ गई थी। मुख्तार को भोपाल का डॉन भी कहते थे। जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाना ही उसका मुख्य पेशा था। गैंगस्टर मुख्तार मलिक का भोपाल और आस-पास के जिलों में प्रभाव था।
रायसेन और भोपाल में आतंक का पर्याय बन चुका मुख्तार मलिक मूल रूप से रायसेन जिले की गोहरगंज ३४ मील क्षेत्र का रहने वाला था। भोपाल की अदालत में १९९५ में खुलेआम फायरिंग करने के बाद वह डॉन बन गया था। उसके श्यामला हिल्स रुस्तम खां अहाता और पुराने शहर में घर थे, जहां वो पत्नी शीबा के साथ रहता था। मलिक वर्ष १९८२ से अपराध की दुनिया में सक्रिय था। उसके खिलाफ रायसेन व भोपाल के विभिन्न थानों में ५६ केस दर्ज थे। वर्ष १९८२ में किशोरावस्था के दिनों से ही मुख्तार मलिक अपराध की दुनिया में उतर गया था। शुरुआती दिनों में वह हफ्ता वसूली और अड़ीबाजी जैसे अपराध करता था। बाद में उसने विवादित प्रॉपर्टी डीलिंग, जमीन पर कब्जा करने, कब्जा दिलाने, मछली ठेके जैसे काम शुरू कर दिए। इस दौरान हत्याएं, हत्या का प्रयास जैसे संगीन मामले उस पर दर्ज होते चले गए। मुख्तार मलिक के पास एके-४७ से लेकर विदेशी माउजर, रिवॉल्वर, ऑटोमैटिक पिस्टल जैसे आधुनिक हथियार थे। पुलिस ने इनमें से कई उससे बरामद किए थे।
आखिरी बार शहर में कोहेफिजा इलाके में स्थित अमदाबाद पैलेस में प्रायवेट बिल्डर अमलतास ग्रुप से जुड़े जमीन विवाद को लेकर पिछले दिनों दो गुटों में जमकर विवाद हुआ। इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से गोलियां चलीं। इस घटना की वजह से इलाके में दहशत का माहौल बन गया था। दो कारों में तोड़फोड़ भी कर दी गई। दोनों पक्षों की ओर से करीब १४-१५ लोग झगड़े में शामिल थे। इस मामले में पुलिस ने दोनों पक्षों पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया था। पुलिस ने चंद्रशेखर पांडे की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर कुख्यात बदमाश मुख्तार मलिक, अमलतास के अब्दुल्ला और उसके साथियों पर केस दर्ज किया था। मुख्तार तभी से फरार चल रहा था।

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