जय सिंह
प्रयागराज वैसे तो संगम के लिए प्रचलित है। प्रयागराज के ब्राह्मण बाहुल्य गांव बाबूपुर के मूल निवासी मुंबई के मेरे मित्र अरुण मिश्रा के साथ तकरीबन ८ महीने पहले मैं प्रयागराज के जंघई स्टेशन से हड़िया होता हुआ प्रयागराज एयरपोर्ट जा रहा था। उस दौरान उन्होंने पूरे रास्ते में सिर्फ विजय मिश्रा की चर्चा करते रहे। हालांकि, उस समय मैं बहुत ज्यादा उनकी बातों को सुनने के मूड में नहीं था, क्योंकि प्रयागराज से वाराणसी जाने वाले हाईवे पर काम चल रहा था और मुझे लेट हो रहा था। अचानक मुझे याद आया कि पूर्वांचल का एक माफिया, जिसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति प्रशासन ने जप्त की है, वो माफिया विजय मिश्रा ही है। ८० से अधिक अपराध उसके नाम पर दर्ज हैं। आगरा की जेल में अपने जीवन का एक-एक दिन बिताने वाला विजय मिश्रा का एक शौक बहुत प्रसिद्ध है। वो जब भी कोर्ट में पेशी पर आता है तो एक वीडियो जरूर उपलोड करवाता है।
बता दें कि भदोही के धनापुर का रहने वाला विजय मिश्रा अपनी राजनीतिक पकड़ से मजबूत और धनबली है। उसने १९८० के आस-पास एक पेट्रोल पंप शुरू किया। इससे अच्छी कमाई होने लगी तो उनका राजनीति की तरफ रुझान बढ़ा। व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी उसे डराने, धमकाने लगे। इसी दौरान उसका परिचय कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी से हुआ। विजय उसके कहने पर ही चुनाव लड़ा और पहली बार १९९० में ब्लॉक प्रमुख बना। उसका कांग्रेस से संबंध यहीं तक रहा और वो मुलायम सिंह के संपर्क में आया। इसके बाद उसका राजनीतिक करियर आगे बढ़ता गया। धीरे-धीरे उसकी छवि पूर्वांचल के बाहुबली नेता के रूप में बनती गई। जुलाई २०१० में बसपा सरकार के मंत्री नंद कुमार नंदी पर प्रयागराज में हुए हमले में विजय मिश्रा का नाम आया। इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी और इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर विजय प्रताप सिंह सहित दो लोग मारे गए थे। इस मामले में वो फरार हो गया था। २०११ में विजय मिश्रा ने दिल्ली स्थित हौज खास में लंबी दाढ़ी और लंबे बालों में साधु वेश में समर्पण किया। जेल में ही रहकर वर्ष २०१२ में वो सपा के टिकट पर ज्ञानपुर से विधानसभा का चुनाव ल़ड़ा और विजयी हुआ। विजय मिश्रा भले ही विधायक भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा सीट से था, लेकिन उसका प्रभाव भदोही के साथ ही आस-पास के जिलों में भी था। वो जिसे चाहता जितवा देता था।
चाहे कुछ भी हो जाए, ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र में उसकी पकड़ हमेशा से रही है, खासकर ब्राह्मणों के बीच। वो जब बाहर होता है तो अपने क्षेत्र में होने वाले हर मौके में शामिल होता है। यही वर्ष २०१४ में हुए लोकसभा चुनाव में विजय मिश्रा की बेटी सीमा मिश्रा को सपा ने भदोही से टिकट दिया। मोदी लहर में भी उन्हें दो लाख से ज्यादा वोट मिले, लेकिन वो तीसरे नंबर पर रहीं। पत्नी रामलली मिश्रा भदोही से जिला पंचायत अध्यक्ष और मिर्जापुर-सोनभद्र सीट से एमएलसी का चुनाव भी जीत चुकी हैं। कहा जाता है कि विजय के एक रिश्तेदार ने ही विजय मिश्रा, पत्नी और पुत्र पर मकान कब्जा करने के आरोप के तहत मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद मार्च २०२१ में उसे मध्य प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया गया और इस समय आगरा के सेंट्रल जेल में बंद है। भतीजा और ब्लॉक प्रमुख मनीष मिश्रा भी कई मामलों के तहत जेल में है। भदोही पुलिस ने पूर्व विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ हत्या, लूट, अपहरण, रेप, मारपीट, संपत्ति हड़पने, जालसाजी, रंगदारी सहित गंभीर अपराधों के कुल ८३ केस दर्ज हैं। गैंगस्टर एक्ट के आरोपी की करोड़ों रुपए की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है। वाराणसी में महिला सिंगर के साथ गैंगरेप का मामला भी दर्ज है। सुरक्षा कारणों से उसे आगरा के सेंट्रल जेल में रखा गया है। माफिया व पूर्व विधायक विजय मिश्रा को एमपी-एमएलए कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया विजय मिश्रा को पांच साल की सजा सुनाई है। प्रयागराज के फूलपुर थाने में दर्ज आर्म्स एक्ट के मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है।
(अगले अंक में पढ़ें…गर्ल का दीवाना माफिया!)