रामदिनेश यादव
पिछले एक साल से पवार परिवार में फूट की चर्चा जोरों पर है। अजीत पवार ने ४० विधायकों और कुछ सांसदों के साथ शरद पवार से नाता तोड़ लिया फिर बाद में एनसीपी पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा किया। उन्हें ये दोनों चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पक्षपाती निर्णय की वजह से मिले। हालांकि, शरद पवार और अजीत पवार के बीच पार्टी स्तर पर और पारिवारिक स्तर पर अभी भी आलोचनाओं व टिप्पणियों का दौर जारी है। अब एक बार फिर अजीत पवार के भाई राजेंद्र पवार ने अजीत पवार के रुख पर नाराजगी जताई है। आश्चर्य की बात ये है कि वे अजीत पवार के प्रचार की बजाय रोहित पवार के साथ शरद पवार का प्रचार कर रहे हैं।
अजीत पवार प्रचार सभा के दौरान बारामती में बार-बार सुमित्रा पवार को शरद पवार की बहू कह कर संबोधित कर रहे हैं और सुप्रिया सुले को अपनी बहन कह रहे हैं। सुमित्रा पवार बाहर की नहीं, बल्कि उनके घर की हैं। शरद पवार की बहू हैं, जबकि शरद पवार बार-बार यह कह रहे हैं कि वो बाहर से आई हुई हैं। जमीन से तो उनकी बेटी है। इस बीच उनका परिवार भी दो धड़ों में बट गया है। एक धड़ा जो अजीत पवार के साथ तो पवार परिवार के बाकी लोग शरद पवार को अपना मुखिया मानते हैं। सब शरद पवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। रोहित पवार के पिता राजेंद्र पवार ने एक जगह अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अजीत पवार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार में अजीत पवार, सुप्रिया सुले, रोहित पवार और शरद पवार ही राजनीति में हैं। हममें से बाकी लोग सामाजिक जीवन में अधिक शामिल हैं। इसमें शरद पवार हमारे परिवार के नेता हैं, उनके विचार हमें सही लगते हैं। उन्होंने राजनीति के माध्यम से बारामती का नाम देश में बढ़ाया। शरद पवार हमारे परिवार प्रमुख हैं। इस बीच अजीत पवार द्वारा की गई आलोचना के बारे में पूछे जाने पर राजेंद्र पवार ने जवाब दिया है। राजेंद्र ने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने इसकी तुलना कुत्तों के लिए छाते से क्यों की है। मुझे इतना पता है कि पवार साहब ने उन्हें बड़ा बनाया है। बहुत पहले की बात है। मेरे विदेश से आने के बाद अजीत पवार पहली बार छत्रपति पैâक्टरी के लिए खड़े हुए। मैंने उनके साथ घर-घर जाकर प्रचार किया। टी. एन. शेषन के समय में जब चुनाव खर्च प्रतिबंधित था, तब हम साइकिल पर घर-घर जाकर प्रचार करके आधे विधानसभा में घूमते थे। उनमें से कई कार्यकर्ता अभी भी उनके साथ हैं और कुछ हमारे साथ हैं। हम हमेशा से उनके लिए प्रचार करते रहे हैं। केवल इस चुनाव में हम उनके साथ नहीं जा पाए। पिछले विधानसभा में रोहित पवार कर्जत-जामखेड़ में खड़े थे। उन्हें और अधिक की आवश्यकता थी इसलिए हम प्रचार करने के लिए वहां गए, लेकिन अब अजीत पवार वह सब भूल गए हैं।