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महा-संग्राम : शिंदे और अजीत गुट के नाराज नेताओं से भाजपा को डर!

रामदिनेश यादव
राज्य भाजपा, शिंदे और अजीत पवार गुट के कई लोग सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिलने से नाखुश हैं। सत्ता में आने के बाद भी अभी तक कई लोगों को मंत्री पद या महामंडल का अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। ऐसे में सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिलने से वे चुनाव में काम करने से किनारा कर रहे हैं, लेकिन अब भाजपा ने इनके सामने लालच का लॉलीपॉप दिया है। इन तीनों दलों के कई असंतुष्टों को भाजपा ने महामंडलों और विधान परिषद की रिक्तियों का लालच दिया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो भाजपा नेताओं ने विधान परिषद की खाली सीटों पर उन असंतुष्ट नेताओं को भेजने का आश्वासन दिया है। लेकिन इसके लिए उन्हें पार्टी अभियान से दूर नहीं होने का सुझाव है।
बता दें कि भाजपा की ओर से शिंदे गुट के कई नेताओं का पत्ता काटे जाने और अजीत पवार के कई नेताओं को दरकिनार किए जाने से महायुति में भीतर ही भीतर दरार नजर आ रही है। यही वजह है कि शिंदे और अजीत पवार गुट के कई नेता चुनाव में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में भाजपा को अब हार का डर सताने लगा है। नाराज नेता क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं, इतना ही नहीं उनके समर्थक भी एकदम शांत हो गए हैं। ऐसे में नाराज नेताओं के सक्रिय नहीं होने से प्रत्याशियों को काफी नुकसान नजर आ रहा है। भाजपा ने उन्हें सक्रिय करने के लिए लालच दिया है।
फिलहाल, विधान परिषद की ७८ सीटों में से लगभग १५ सीटें रिक्त हैं और कई सीटें अगले ३ महीने में खाली होने वाली हैं। जुलाई महीने में विधान परिषद से रिटायर हो रहे ११ सदस्यों की जगह नए लोग भेजे जाएंगे, ऐसी हवा भाजपा ने उड़ाई है। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं से विधान परिषद में नियुक्त २२ सदस्यों में से छह सदस्यों का कार्यकाल मई और जून के महीनों में समाप्त हो रहा है। इसके अलावा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के सात सदस्यों में से दो सदस्यों का कार्यकाल जुलाई माह में समाप्त हो रहा है। जानकारों की मानें तो राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधान परिषद के बारह सदस्यों की अभी तक नियुक्ति नहीं हो सकी है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने महायुति के असंतुष्ट नेताओं को लॉलीपॉप दिया है कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों को जीतकर लाओ और विधान परिषद में उम्मीदवारी पाओ। अगले एक-दो महीने में विधान परिषद के कई सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

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