उमेश गुप्ता/वाराणसी
दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने गुरुवार देर रात काशी का भ्रमण किया। इस दौरान वह काशी की तंग गलियों में घूमे और महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर घूमे। उन्होंने गंगा की लहरों पर नौकायन भी किया और चाय की चुस्की भी ली। इसके साथ ही उन्होंने बाबा श्री काशी विश्वनाथ व दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा के दरबार में भी हाजिरी लगाई।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने तिरुपति के लड्डू में मिलावट को गंभीर अपराध बताते हुए इसे “महापाप” करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रसाद में मिलावट करना देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है और इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने देश के सभी संतों और मंदिरों के आचार्यों से आह्वान किया कि यदि वे पवित्रता और शुद्धता को बनाए रखना चाहते हैं, तो हर मठ और मंदिर में अपनी खुद की गौशाला होनी चाहिए।
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे पूरे भारत में हिंदुओं और सनातनियों को जागरूक करने के लिए गांव-गांव जाकर पिछड़े और बिछड़े लोगों को अपने साथ जोड़ने का काम करेंगे। साथ ही, उन्होंने वाराणसी में बिक रहे मांस और शराब को काशी क्षेत्र से बाहर करने की अपील की। उन्होंने कहा, “काशी में सबकुछ अच्छा है, लेकिन मांस और मदिरा की दुकानों को काशी के पवित्र परिक्षेत्र से बाहर कर दिया जाए, तो यह नगरी और भी पवित्र हो जाएगी।”
अपने दौरे के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने गंगा महल में ठहरते हुए मीडिया से बातचीत की और बताया कि उन्होंने बाबा काशी विश्वनाथ, मां दुर्गा के मंदिर में दर्शन किए और मोक्ष भूमि मणिकर्णिका घाट पर रात का समय बिताया। उन्होंने काशी को अपनी प्राण नगरी बताते हुए कहा, “यह नगरी हमारे गुरु का अंतिम स्थल है, और काशीवासियों के प्रति हमारा अपार प्रेम और आदर है।”