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महायुति में महाराड़ा! … अमित शाह की घोषणा के बाद घटक दलों में भगदड़

– विवाद निपटाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री मुंबई में रुकने को मजबूर
– हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की चुनावी यात्राएं पोस्टपोंड
सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुंबई दौरे पर एक सभा में कहा कि इसी साल २०२४ में महायुति की सरकार बनेगी, परंतु मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा। इसी के साथ ही शाह ने यह भी जोड़ दिया कि २०२९ के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर सरकार बनाएगी। अर्थात २०२४ में शिंदे का पत्ता काटने के अलावा २०२९ तक भाजपा का इरादा शिंदे और अजीत पवार दोनों से किनारा करने का है। इसी के चलते कल दिनभर महायुति में महाराड़ा होता रहा।
अमित शाह के बयान से महायुति के घटक दलों में भय का माहौल बन गया है। अजीत पवार ने शाह के बयान पर एक दिन पहले ही स्पष्ट जवाब दिया। सूत्रों के अनुसार शाह के बयान से खराब हो रहे महायुति के माहौल से दुखी होकर अजीत पवार ने अपने सहयोगियों के साथ कल सुबह सह्याद्रि में जाकर शाह से मुलाकात की। शाह के बयान पर शिंदे गुट के किसी नेता ने बयान देने की हिम्मत नहीं जुटाई है, लेकिन दबे तौर पर शिंदे गुट के लोगों में नाराजगी है। एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने अमित शाह के बयान को लेकर शिंदे और अजीत पवार गुट पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति की हालत खराब है। इस विकट स्थिति के चलते अमित शाह को यहां एक दिन और रुकने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
शिंदे का पर काटने के लिए दादा का इस्तेमाल
इतना ही नहीं शाह को कश्मीर और हरियाणा की तमाम चुनावी यात्राएं पोस्टपोंड करनी पड़ी हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने अपनी नीति के तहत पहले से ही एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर खूब हवा दी, लेकिन अब शिंदे की हवा निकालने में जुट गई और शिंदे का पर काटने के लिए अजीत पवार का इस्तेमाल कर रही है। ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति से भाजपा ने सीटों के बंटवारे को लेकर पहले शिंदे और अजीत पवार को भिड़ाया। अब जिस तरह से शाह का बयान आया है, उससे शिंदे और अजीत पवार दोनों को झटका लगा है। इन दोनों की २०२४ के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

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