संजय राऊत
देश में भाजपा के विरोधी देश डुबानेवाले हैं, ऐसा हमला प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल से किया व अगले ७२ घंटों में देश को डुबोनेवाले महाराष्ट्र के लोगों ने भाजपा से हाथ मिलाकर मंत्री पद की शपथ ले ली। सत्ता के लिए जो जरूरी लगे वो सब करने को भाजपा तैयार नजर आ रही है। केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों की पार्टियों को फोड़ने की उन्हें आदत हासिल है।
‘देश को डुबाने वाले विपक्ष की साजिश को नाकाम बनाएं!’ ऐसा आदेश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में दिया और अगले ७२ घंटों में अपने देश को डुबानेवालों में से एक महाराष्ट्र के अजीत पवार समेत लगभग ४० विधायकों को भाजपा में लेकर ‘पवित्र’ कर दिया गया। इससे पहले ‘देश को डुबोनेवाले’ ऐसे कई लोगों को भाजपा ने पवित्र किया है। असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, ऐसे ही देश को डुबोनेवालों में से एक हैं। आज ये महाशय प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का गुणगान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री अपने राजनीतिक विरोधियों को ‘देश को डुबानेवाला’ ठहराते हैं और उन्हीं देश को डुबानेवालो को भाजपा में शामिल करके सरकार बनाते हैं। अजीत पवार सहित करीब ४० विधायकों ने शरद पवार का साथ छोड़ा और वे सीधे भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्ता में शामिल हो गए। अजीत पवार पर ७०,००० करोड़ के सिंचाई घोटाले का आरोप खुद देवेंद्र फडणवीस, प्रधानमंत्री मोदी ने लगाया। भाजपा के एक सेनापति किरीट सोमैया ने कागल के हसन मुश्रीफ पर हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। ‘ईडी’ ने उनकी गिरफ्तारी की तैयारी पूरी कर ली। मुश्रीफ अंतरिम जमानत पर बाहर थे। वे भी अब अजीत पवार के साथ भाजपा गुट में चले गए और मंत्री बन गए। छगन भुजबल के खिलाफ मुहिम चलानेवाले खुद फडणवीस और सोमैया ही थे। वलसे-पाटील, धनंजय मुंडे भी गए। भाजपा में शामिल होने से इन सभी को अब चैन की नींद आएगी। केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर किया जा रहा है। कुल मिलाकर, नीति है कि पॉकिटमारों को अंदर डालना है और डवैâतों को भाजपा में प्रवेश देकर शुद्ध करना है। कल के देश को डुबानेवाले एक ही रात में वैâसे देशभक्त बन जाते हैं, ये महाराष्ट्र में दिखाई दिया!
वे जानेवाले ही थे!
दि. १६/४ के ‘रोखठोक’ आलेख में ‘लोकतंत्र की गंदगी, तोड़-फोड़ी का सीजन-२’ ऐसा मैंने साहसपूर्वक लिखा और अजीत पवार सहित विधायकों का एक बड़ा समूह जल्द ही राकांपा छोड़ देगा, ये दावा किया। तब राज्य में और देश में खलबली मच गई। राष्ट्रवादी के विधायकों का एक बड़ा समूह भाजपा में जा रहा है, ऐसा तब खुद श्री शरद पवार ने स्वीकार किया। केंद्रीय जांच एजेंसियों के डर से ये सभी पार्टी छोड़ रहे हैं। हर किसी की निजी मजबूरी है। जिन्हें जाना है, वे जाएं। लेकिन पार्टी के तौर पर मैं उन्हें समर्थन नहीं दूंगा।’ पवार ने तब एक अच्छा मुद्दा रखा था वो मतलब, ‘आज जो लोग ईडी आदि के डर से पार्टी छोड़ रहे हैं, मैं उनसे कहता हूं, आपके भाजपा में जाने से टेबल के ऊपर रखी फाइल कपाट में चली जाएगी, लेकिन ये फाइलें कभी भी बंद नहीं होती हैं।’ हसन मुश्रीफ ने भाजपा में प्रवेश किया इसलिए उनकी फाइल बंद कर दी तो ‘ईडी’ आदि एजेंसी की पहले से ही घटी हुई विश्वसनीयता हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। वर्ष २०२४ में दिल्ली में सत्ता परिवर्तन होने की प्रबल संभावना है और कपाट की सभी फाइलें फिर से टेबल पर आ जाएंगी। छगन भुजबल, खुद अजीत पवार ईडी-पीड़ित हैं। वलसे-पाटील का क्या? ये रहस्य है। भुजबल पर भ्रष्टाचार के कई अपराध दर्ज होने के बाद भी जेल से छूटकर आने के बाद पवार ने उन्हें महाराष्ट्र में मंत्री बनाकर प्रतिष्ठा दिलाई। अब उन अपराधों को हटाने के लिए वे भाजपा में चले गए। प्रफुल्ल पटेल के आवास की दो मंजिलों को ‘ईडी’ ने जब्त कर लिया और वहां ‘ईडी’ का कार्यालय बना दिया। इसलिए पटेल को नींद वैâसे आएगी? अब नए सियासी नाटक के चलते पटेल को चैन की नींद आएगी। श्री पटेल ने इकबाल मिर्ची के साथ किस तरह का व्यवहार किया ये एक बार खुद मोदी ने अपने भाषण में कहा। अब मिर्ची का ‘हलवा मीठा’ हो गया! संपूर्ण भारत में देश को डुबाने वालों के मातृपक्ष के तौर पर भारतीय जनता पार्टी की ओर देखा जाना चाहिए। श्री मोदी कहते कुछ हैं और प्रत्यक्ष में करते कुछ अलग ही हैं। ये तस्वीर आज सर्वत्र नजर आ रही है। अजीत पवार के साथ जो गए उन सभी को व्यक्तिगत दुख था। मुश्रीफ के परिजनों पर ‘ईडी’ ने लगातार छापेमारी की। तभी मुश्रीफ की पत्नी बाहर आकर गुस्से से बोली, ‘रोज-रोज क्यों प्रताड़ित कर रहे हो? बस हमें एक ही बार में गोली मारकर मार डालो!’ भाजपा द्वारा ‘ईडी’ के माध्यम से प्रताड़ित कई परिवारों की यही पीड़ा है।
इतना बहुमत किसलिए?
महाराष्ट्र में भाजपा व शिंदे गुट को मिलाकर १६५ विधायकों का बहुमत होने के बावजूद भाजपा ने अजीत पवार को फोड़ा और चालीस विधायक बहुमत में जोड़ दिए। इसलिए सबसे बड़ी फजीहत हुई तो मुख्यमंत्री शिंदे और उनके विधायकों की। उनका ‘बार्गेनिंग पावर’ ही अब खत्म हो गया है। ‘हमारी वजह से आप सत्ता में हैं’, ऐसा भाजपा को सुनानेवालों का चेहरा अब गिर गया, ये पहली बात व अजीत पवार हमें निधि नहीं दे रहे थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस शिवसेना को निगल रही थी इसलिए हम शिवसेना से बाहर निकल गए, ऐसा कहने की सहूलियत अब नहीं बची। सभी बहानों की पोल खुल गई है।
भुजबल ने बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार किया। उस भुजबल की जांघ से जांघ सटाकर मंत्रिमंडल में वैâसे बैठें? इसलिए शिवसेना छोड़ी, ऐसा विलाप मुख्यमंत्री शिंदे शिवसेना छोड़ते समय कर रहे थे। वहीं भुजबल अब शिंदे के मंत्रिमंडल में आए व शिंदे ने उसे स्वीकार किया। बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार करनेवाले भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की हिम्मत उनमें नहीं है। इसलिए शिवसेना का नाम और बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाकर वे गुमराह न करें। महाराष्ट्र में पाखंड नहीं चलता है। पाखंडियों को लात मारो, ऐसा बालासाहेब ठाकरे हमेशा कहते थे, लेकिन महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में पाखंडियों का बाजार भरा है! भुजबल का नए मंच से भाषण मैंने सुना, ‘शरद पवार के आस-पास ‘दलाल’ जमा हो गए हैं।’ कल तक यही दलाल आपके सहकर्मी थे। छगन भुजबल शिवसेना में थे। महाराष्ट्र की अस्मिता के प्रति उनमें प्रेम है, लेकिन महाराष्ट्र को कमजोर करनेवाली शक्तियों को समर्थन देने का काम भुजबल जैसे नेता आज कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के साथ रहकर अजीत पवार, भुजबल, मुश्रीफ आदि नेता ‘बेलगांव, कारवार समेत संयुक्त महाराष्ट्र बनना ही चाहिए’, ऐसी घोषणा कर सकते हैं क्या? बेलगांव में मराठी लोगों पर होनेवाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा पाएंगे? विधानसभा में प्रचंड बहुमत जुटाकर स्वतंत्र विदर्भ यानी महाराष्ट्र को तोड़ने का प्रस्ताव वे ला सकते हैं। महाराष्ट्र से सभी उद्योग गुजरात राज्य की ओर खींचकर ले जाया जा रहा है। मुंबई का महत्व अब कम करना है व भविष्य में मुंबई को अलग करना है, यह वर्तमान दिल्लीश्वरों की नीति है। एकनाथ शिंदे से लेकर अजीत पवार, भुजबल तक ये सभी लोग इस महाराष्ट्र द्रोह के खिलाफ आवाज उठाने की स्थिति में अब नहीं हैं। १०५ विधायकों की यह सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस के कुल ८० विधायकों को तोड़कर उनके हाथ में राज्य की चाबी सौंप दी है। लूटने का खुला लाइसेंस दे दिया। यह देश को डुबाने का ही मामला है। एकनाथ शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे, ऐसा संघर्ष उन्होंने भड़काया। अब अजीत पवार बनाम शरद पवार ऐसा झगड़ा लगाकर भाजपा के व्यापारी बादशाह दिल्ली में बैठकर मजा देख रहे हैं।
‘देश को डुबानेवाले भाजपा में आएं, नहीं तो जेल में जाएं!’ ऐसा संदेश इस बादशाह ने दिया है। जिन्होंने भ्रष्टाचार किया व देश डुबाने में जो शामिल हैं, वही लोग बादशाह के समक्ष शरण में जा रहे हैं। अजीत पवार व उनके नए सहयोगियों के शपथ समारोह के बाद सोशल मीडिया पर लोग उपहासात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, ‘पवार, मुश्रीफ, भुजबल के शपथ ग्रहण के बाद किरीट सोमैया की चौखट के बाहर अपने-अपने भ्रष्टाचार की फाइलें लिए लोगों की भीड़ जुट रही है। हमारे भ्रष्टाचार के खिलाफ शोर मचाओ। अर्थात हम भी मंत्री बन सकते हैं’, ऐसा लोग कह रहे हैं।
अजीत पवार ने अपने पहले भाषण में ‘मेरे साथ वैâसे छल हुआ’, यह बताया। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता विश्वंभर चौधरी ने सोशल मीडिया पर मार्मिक टिप्पणी की है, ‘सचमुच बहुत सहा है। सात बार विधायक, एक बार सांसद, १५ साल मंत्री, चार बार उपमुख्यमंत्री, एक बार विपक्ष का पक्षनेता! बहुत कुछ सहा है। कोई और भतीजा रहा होता तो कब का छोड़कर चला गया होता!’
देश को डुबानेवालों ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान को उपहास का मेला ही बना दिया है!