सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने वित्त मंत्री का पद संभालने के बाद निधि का वितरण किया। इस वितरण में उन पर भेदभाव का आरोप है। एनसीपी से टूटकर उनके साथ आए विधायकों को उन्होंने भरपूर निधि दी है, इसे लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के नेता व सांसद संजय राऊत ने शिंदे सरकार पर जोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा, ‘अपने साथ आए विधायकों को निधि बांटना लूटमार कहलाता है क्योंकि मेरे हाथ में तिजोरी है इसलिए मैं लूट रहा हूं।’ निधि वितरण के इस अंसुतलन से महाराष्ट्र की राजनीति बर्बाद हो गई है।
अजीत पवार महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान वित्त मंत्री थे और वर्तमान सरकार में भी वित्त मंत्री हैं। तब भी वही बातें हुई थीं। ‘मेरे साथ ४० विधायक हैं इसलिए मैं निधि आवंटन से उनकी जेबें भरूंगा।’ यह निधि आवंटन का असंतुलन है। यह महाराष्ट्र की राजनीति को बर्बाद कर रहा है।’ ऐसी टिप्पणी राऊत ने की। ‘रवींद्र वायकर इस मामले में अदालत गए हैं। निधि आवंटन का यह नया रूप सामने आ रहा है। यह निधि का दुरुपयोग है। गोगावले को डेढ़ सौ करोड़ की निधि दी गई है, यह सुनकर मैं हैरान रह गया। मंत्री पद नहीं दिया इसलिए उन्हें शांत करने के लिए यह कीमत चुका रहे हैं क्या? ‘महाराष्ट्र की राजनीति में निधि आवंटन एक शोध का विषय है’, ऐसा राऊत ने कहा। ‘लोग डर के मारे पार्टी छोड़ रहे हैं। जिन लोगों ने दल-बदल किया, उनका एक पैर जेल में था। चाहे वे शिवसेना के हों या एनसीपी के। एकनाथ शिंदे के पास मुख्यमंत्री बनने के लिए १४५ का आंकड़ा नहीं था। मुख्यमंत्री वे खुद नहीं बने, उन्हें किसी और ने बनाया। जिनके पास मुख्यमंत्री बनने का आंकड़ा है, वे मुख्यमंत्री नहीं बन रहे हैं, दूसरे पर आंकड़ा लगा रहे हैं, ऐसा राऊत ने कहा।