- समाज में बीमारी को माना जाता है शाप
सामना संवाददाता / मुंबई
हमारे समाज में लंबे समय तक कुष्ठरोग की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है। कुष्ठ रोग उन लोगों पर जल्दी हावी हो जाता है, जिनके शरीर में पोषण की कमी होती है। हालांकि, खुशी की बात ये है कि आज मल्टी ड्रग थेरपी अर्थात एमडीटी से कुष्ठ रोग का पूर्ण इलाज संभव है। इसके साथ ही भ्रांतियों को दूर करने हेतु जगह-जगह अभियान चलाए जा रहे हैं। इन सबके बीच देश में वर्ष २०२१-२२ में ७५,३९४ नए कुष्ठ रोगी मिले हैं, जिनमें से महाराष्ट्र सर्वाधिक १७,०१४ मरीजों के साथ पहले पायदान पर है। इसके बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का नंबर आता है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों के स्वास्थ्य विभाग कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसके तहत विशेषकर रोगियों को चिह्नित करने के लिए स्पर्श जागरूकता अभियान के अलावा कुष्ठ रोगियों को सेल्फ केयर का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कुष्ठ रोगी अपने नित्य कामों को स्वयं कर सकें। हालांकि, सरकार की तरफ से किए जा रहे तमाम प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं, क्योंकि कोशिशों के बावजूद रोगियों का मिलना बंद नहीं हो रहा है।
अस्पताल में शुरू होगा स्वतंत्र टीबी रोग केंद्र
टीबी रोग के मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए केईएम अस्पताल में अलग से टीबी रोग केंद्र शुरू किया जाएगा। अस्पताल की इमारत के पांचवें मंजिल पर टीबी रोग ओपीडी विभाग शुरू रहता है। इस विभाग में हमेशा भीड़ रहती है। इस मंजिल पर अन्य रोगियों और उनके परिजनों का आना-जाना लगा रहता है। इससे उन्हें होनेवाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए नया केंद्र भूतल पर शुरू किया जाएगा।
२०२१-२२ में १५.७ प्रतिशत की बढ़ोतरी
बता दें कि साल २०१४-१५ में देश में कुष्ठ रोगियों की संख्या १ लाख १५ हजार ७८५ थी। कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए लागू उपायों और उपचार विधियों के कारण कुष्ठ रोगियों की संख्या में कमी आई है। वर्ष २०१९-२० में देश में एक लाख १४ हजार ४५१ कुष्ठ रोगी थे। उसके अगले साल यानी २०२०-२१ में मरीजों की संख्या करीब ४३ फीसदी घट कर ६५ हजार १४७ पर आ गई। लेकिन वर्ष २०२१-२२ में मरीजों की संख्या १५.७ प्रतिशत बढ़कर ७५ हजार ३१४ हो गई है। कुष्ठ उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) केंद्र द्वारा राज्यों को प्रतिवर्ष वित्त पोषित किया जाता है। इसके तहत वर्ष २०१९-२० में ४.८३ करोड़ रुपए, वर्ष २०२०-२१ में ३.७६ करोड़ रुपए और वर्ष २०२०-२१ में २.१२ करोड़ रुपए महाराष्ट्र को दिए गए हैं।