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गुजरात के गले में डाला महाराष्ट्र का महानंद …घाती सरकार भी देगी २५३ करोड़ रुपए … कैबिनेट की बैठक में फैसले पर मुहर

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में दूध उत्पादक किसानों की अग्रणी शीर्ष संस्था महानंद डेयरी आखिरकार गुजरात की मदर डेयरी के गले में डाल दी गई। किसानों के पसीने से खड़ी हुई महानंद डेयरी महाराष्ट्र दिन बीतने के साथ दूसरे दिन ही गुजरात चली गई है। महानंद के पुनरुद्धार के नाम पर राज्य सरकार मदर डेयरी को २५३.५७ करोड़ रुपए देने जा रही है।
राज्य सरकार ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ (महानंद) को राष्ट्रीय डेयरी विकास महामंडल (एनडीडीबी) में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव तैयार किया था। इसी के साथ ही राज्य में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य वैâबिनेट की बैठक में इस पैâसले पर मुहर भी लगा दी गई। महाराष्ट्र के उद्योगों को गुजरात की ओर ले जाया जा रहा है। इसी में अब महानंद को भी गुजरात की ओर भेजा जा रहा है। इसे लेकर हवाला यह दिया जा रहा है कि महानंद डेयरी वित्तीय कठिनाइयों से गुजर रहा है इसलिए इसको गुजरात के नेशनल डेयरी डेवलपर को देने का निर्णय लिया गया था।
शिवसेना ने किया कड़ा विरोध
महानंद डेयरी को गुजरात को देने का शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के साथ ही किसान विकास सभा ने भी कड़ा विरोध किया, लेकिन इस विरोध को दूर कर इस डेयरी को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को देने का निर्णय लिया गया। इस पैâसले का असर विधानमंडल के सत्र में भी दिखा। स्थानांतरण समझौते की घोषणा करने की मांग दुग्ध उत्पादक शेतकारी संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा और राज्य के मुख्य विपक्षी दल ने की थी, लेकिन समझौते की घोषणा नहीं की गई।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को सौंपने की चाल
दो मई को महानंद डेयरी को गुजरात की मदर डेयरी में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। मदर डेयरी का संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा किया जाता है। आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा एक देश एक ब्रांड के नाम से देश के विभिन्न राज्यों के डेयरी व्यवसाय को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को सौंपने की चाल चल रही है।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ ने कर्नाटक में प्रमुख दूध ब्रांड ‘नंदिनी’ का अधिग्रहण करने का प्रयास शुरू किया था, लेकिन कर्नाटक सरकार ने इस प्रयास को विफल कर दिया। लेकिन खुलासा हुआ है कि महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार ने महानंद ब्रांड को गुजरात को सौंप दिया और इसके साथ २५३.५७ करोड़ ५७ रुपए का भुगतान भी करने जा रही है।

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