सामना संवाददाता / मुंबई
सीट बंटवारे को लेकर हमें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। शरद पवार, नाना पटोले मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा करें, मैं समर्थन दूंगा… इन शब्दों में कल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाविकास आघाड़ी के पदाधिकारियों की बैठक में कड़ा रुख रखा। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि मैंने एक पल में मुख्यमंत्री पद को छोड़ दिया था और मैं अपने स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के लिए लड़ रहा हूं। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र को लूटने आए लोगों को चुनौती देते हुए कहा कि या तो तुम रहोगे या फिर मैं।
महाविकास आघाड़ी का यह संयुक्त पदाधिकारी सम्मेलन कल माटुंगा के षण्मुखानंद हॉल में संपन्न हुआ। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दुश्मन को पानी पिलाया, आगामी चुनाव में मिलकर मुकाबला करेंगे और जीत हासिल करेंगे, ऐसा निश्चय करते हुए कल महाविकास आघाड़ी के संयुक्त पदाधिकारियों के सम्मेलन में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका गया। इस सम्मेलन का मार्गदर्शन करते हुए उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद, सीट बंटवारे जैसे विभिन्न मुद्दों पर शिवसेना की भूमिका को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया।
मैं स्वार्थ के लिए नहीं, महाराष्ट्र के लिए लड़ रहा हूं!
महाविकास आघाड़ी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा? उद्धव ठाकरे या कोई और, इस चर्चा को कल उद्धव ठाकरे ने बीच में छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं अपने लिए लड़ रहा हूं। मैंने एक पल में मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया और फिर से अपने स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के लिए लड़ रहा हूं। हम देखेंगे कि मुख्यमंत्री पद का क्या करना है, ऐसा कहकर उद्धव ठाकरे ने विरोधियों की बोलती ही बंद कर दी।
महाराष्ट्र धर्म की सुरक्षा के लिए विधानसभा चुनाव
चुनाव आयोग को महाराष्ट्र चुनाव की घोषणा करनी चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं। आनेवाली लड़ाई इतनी आसान नहीं है, जितनी दिख रही है। लोकसभा चुनाव संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई थी और अब विधानसभा चुनाव की लड़ाई महाराष्ट्री धर्म की रक्षा के लिए है, महाराष्ट्र की पहचान, संस्कृति और स्वाभिमान को बचाने के लिए है, ऐसा भी उद्धव ठाकरे ने कहा।
ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी का मुख्यमंत्री, यह नीति नहीं चाहिए
विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आएंगी, उस पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा। यह नीति महाविकास आघाड़ी में नहीं चाहिए, ऐसा अनुरोध कल उद्धव ठाकरे ने किया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के दौरान जो अनुभव उन्हें मिला, वह उन्हें अब नहीं चाहिए। उस समय सीटों के बंटवारे के लिए बैठकें होती थीं और जिसे ज्यादा सीटें मिलती थीं, उसे मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया जाता था। लेकिन उस नीति के कारण एक-दूसरे के बीच विवाद होता था। गिराने-उठाने की राजनीति हुआ करती थी। अगर ऐसा है तो फिर गठबंधन का महत्व क्या है? इसलिए पहले निर्णय लें और फिर आगे बढ़ें, लेकिन इस नीति के साथ न जाएं, ऐसा सुझाव भी उद्धव ठाकरे ने दिया।
मशाल हाथ में लो और घातियों को आग लगाकर जीत का बिगुल बजाओ
‘शिवसेना को गद्दारों ने चुरा लिया, लेकिन मैं शिवसेना को इन चोरों के हाथों में नहीं सौंपूंगा।’ हालांकि, उन्होंने शिवसेना के धनुष-बाण चुरा लिए हैं, मैंने उन्हें भस्म करने के लिए मशाल ले ली है। लोकसभा में मशाल का प्रचार करने के लिए समय नहीं बचा था। फिर भी सफलता मिली। एनसीपी की पार्टी और निशान भी चोरी हो गया। कांग्रेस की किस्मत अब भी उनके हाथ में है इसलिए कांग्रेस का हाथ, शिवसेना की मशाल और गांव-गांव तक एनसीपी की तुरही बजाओ और हाथ में मशाल लेकर घातियों को आग लगाओ और जीत का बिगुल बजाओ। ऐसा आह्वान भी उद्धव ठाकरे ने किया।
अगले जन्म में न्याय का देवता मिलेगा
उद्धव ठाकरे ने विधायक अयोग्यता मामले के फैसले में हो रही देरी पर भी टिप्पणी की। हम देवता में विश्वास करते हैं। अगले ५०-६० साल में शिवसेना और एनसीपी को लेकर फैसला जरूर आएगा, ऐसा मुझे यकीन है। उद्धव ठाकरे के इतना कहते ही हॉल में ठहाके गूंज उठे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर हम जल्दी तारीख देने का अनुरोध करते हैं तो जज कहते हैं कि हमें आदेश मत दीजिए, तब हम हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि इस जन्म में नहीं, अगले जन्म में न्याय के देवता हमें मिलेंगे’ ऐसा तंज भी उद्धव ठाकरे ने कल कसा।
बांग्लादेश का लोकतंत्र मुख्य न्यायाधीश को स्वीकार्य है क्या
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश हमारी आजादी के महत्व को रेखांकित करता है। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने हैरानी और गुस्सा भी जाहिर किया। यदि हमारे देश की आजादी को उस बांग्लादेश से उजागर करना है जिसे हमारे भारत ने आजाद कराया था तो फिर हम इस देश में पैदा ही क्यों हुए? बांग्लादेश में जनता सड़कों पर उतर आई है, प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश को इस्तीफा देना पड़ा, क्या वह लोकतंत्र मुख्य न्यायाधीश को स्वीकार्य है? ऐसा सवाल कल उद्धव ठाकरे ने उठाया है।
उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि चंद्रचूड़ कहते हैं कि अगर हमें आजादी का महत्व जानना है तो हमें अतीत में देखना होगा। मान गया। लेकिन अगर हम अतीत पर नजर डालें तो हमें राम शास्त्री प्रभुणे नजर आते हैं। रामशास्त्री प्रभुणे ने राघोब को बताया कि इस अपराध के लिए मौत के अलावा कोई अन्य सजा नहीं है, यह हमारे अतीत में छिपा है। हम भी कभी अतीत में जाएंगे। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर उस समय कुछ और होता और आजादी के महत्व को समझने के लिए हमें अतीत में झांकना होता तो चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश के रूप में क्या किया और हमने राजनेता के रूप में क्या किया, इसका भी उल्लेख किया गया होता ऐसा भी उद्धव ठाकरे ने कहा।
इसलिए मुस्लिम भी शिवसेना के साथ!
उद्धव ठाकरे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भाजपा राज में देश में हिंदू-मुसलमान और महाराष्ट्र में सांप्रदायिक तौर पर आग लगाई जा रही है। लोकसभा चुनाव में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय, बल्कि बौद्ध, मराठी, हिंदुओं ने भी बढ़-चढ़कर शिवसेना को वोट दिया। महागंठबंधन के गद्दार तो भूल गए, लेकिन मुस्लिम और बौद्ध शिवसेना को नहीं भूले, जिन्हें हमने कोरोना काल में बचाया था। सीएए, एनआरसी के दौरान भी डर का माहौल था। उस समय मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था कि जो इस देश के नागरिक हैं, जो देश से प्यार करते हैं, उन्हें मैं बाहर नहीं जाने दूंगा। तो मुसलमान शिवसेना के साथ आ गए, ऐसा भी उद्धव ठाकरे ने कहा।
मोदीजी, सेक्युलर सिविल कोड पर बोलते हैं तो क्या आपने हिंदुत्व छोड़ दिया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश को संबोधित करते हुए धर्मनिरपेक्ष संविधान, धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता पर बात की। जिस पर उद्धव ठाकरे ने मोदी पर निशाना साधा। मोदीजी, सेक्युलर सिविल कोड की बात कर रहे हैं तो क्या आपने हिंदुत्व छोड़ दिया है? चंद्रबाबू और नीतीश कुमार की गोद में बैठकर तो आपने हिंदुत्व नहीं छोड़ा? तो वे आग लगाने के लिए वक्फ बोर्ड बिल क्यों लाए और अगर उनमें हिम्मत थी तो इसे मंजूरी क्यों नहीं दी? ऐसा सवाल भी उद्धव ठाकरे ने उठाया।
घाती सरकार की योजना यही बड़ा घोटाला
उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कि घाती सरकार द्वारा जो योजनाएं लाई गई हैं, वही एक बड़ा घोटाला है। सरकार की योजनाओं को हर घर तक पहुंचाने के लिए ५० हजार यमदूतों की नियुक्ति की गई है। ये यमदूत घातियों के चेले-चपाटे होंगे। इन योजनादूतों को हर महीने दस हजार रुपए दिए जाएंगे और लाडली बहनों को केवल डेढ़ हजार रुपए ही मिले हैं। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि इन दूतों के फर्जी नामों को दिखाकर पैसे लूटे जाएंगे। घाती सरकार की घोटालेबाज योजनाओं के विज्ञापनबाजी के लिए जनता के पैसों की लूट मची है। यह भी बड़ा घोटाला है।
महाविकास आघाड़ी के कार्यकर्ताओं को भी बनाओ दूत
पैसे देकर घाती सरकार के योजनादूत गांवों में घूमेंगे तो आप भी महाविकास आघाड़ी के दूत बनो। इस तरह का आह्वान उद्धव ठाकरे ने पदाधिकारियों से किया। उन्होंने कहा कि ढाई सालों में मविआ सरकार के किए गए कामों को बताएं। कोरोना काल में मविआ के किए गए कामों को लोग भूल जाएं इसलिए चुनाव को लटकाने की साजिश चल रही है।
अधिकारी बोल रहे, धमका रहे घाती… साहेब वापस आएं
‘लाडली बहन’ योजना के लिए आईएएस अधिकारियों पर भारी दबाव है। इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि क्या लाडली बहन योजना रोके, इस तरह की फटकार कोर्ट ने लगाई है। इससे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को चिढ़ हो रही है। कई आईएएस अधिकारी बोल रहे है कि साहेब वापस आइए… इनकी दमनशाही, धमकी शुरू है। घाती उन्हें कह रहे हैं कि मैं अच्छी भाषा में कह रहा हूं, तब तक सुनों अन्यथा दूसरा रूप दिखाऊंगा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनका दूसरा रूप क्या है। इतना कहते ही सभागार में ‘गद्दार… गद्दार…’ की आवाज गूंज उठी। यह सुनते ही उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में पदाधिकारियों ने कहा कि सही मुद्दे पर आपने हाथ रखा है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि घातियों का असली रूप यही है और उसे भी जनता में पहुंचाने का काम आपका है।
हिंदू देव स्थान की जमीन हड़पने वालों की जाहिर करो सूची
वक्फ बोर्ड की जमीन उद्योगपतियों द्वारा हड़पे जाने का मुद्दा गरम है। उस पर बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदू देव स्थानों की जमीनें कितने लोगों ने हड़पीं हैं, उसकी भी सूची जाहिर करिए। वक्फ हो अथवा हिंदू संस्थाओं की जमीन हो, उसे हम तोड़ने-मरोड़ने नहीं देंगे। इस तरह की चेतावनी भी उन्होंने दी। अयोध्या के राम मंदिर के पास जमीन किसे दी, उसकी भी जेपीसी द्वारा जांच करो। केदारनाथ के सोने की चोरी का भी खुलासा करें।
आरक्षण की सीमा बढ़ाएं, हम समर्थन देंगे
मराठा और धनगर आरक्षण के मुद्दे पर भी उद्धव ठाकरे ने स्पष्टता के साथ अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। बिहार सरकार ने जो सीमा बढ़ाई थी, उसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। यह अधिकार केवल और केवल लोकसभा के पास है अन्यथा राष्ट्रपति लागू कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट और सलाह लेकर आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इतना हो सकता है तो मराठा आरक्षण का बिल लोकसभा में लाकर इसकी सीमा बढ़ाएं। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण को वैसे ही कायम रखें। धनगर समाज और सभी को आरक्षण दें। हम महाविकास आघाड़ी के तौर पर उसे समर्थन देंगे।
मुंबई को मुर्गी की तरह काटोगे तो मुंबईकर आपको काटेंगे
उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि घाती सरकार ने मेट्रो के साथ ही अन्य निर्माण कार्यों के लिए मुंबई की हालत खराब कर रखी है। मेट्रो और इमारतों के लिए बेशुमार खुदाई की गई है। इसका असर झीलें भरती हैं, तब भी मुंबईकरों की प्यास कम नहीं हो रही है। कुछ स्थानों पर गटर का गंदा पानी घुलने से मुंबईकर पेट विकार के शिकार हो रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा ने कभी भी मुंबई और मुंबईकरों को अपना माना ही नहीं। खुद शाकाहारी मोदी-शाह मुंबई की तरफ सोने का अंडा देनेवाली मुर्गी समझ रहे हैं, तो आगामी चुनाव में मुंबईकर आपकी क्या हालत करेंगे यह पता चल जाएगा। इस तरह की चेतावनी भी उद्धव ठाकरे ने दी।
सीटों पर न करें मारामारी
सीटों के बंटवारे में कोई सीट आघाड़ी में दूसरे दलों के पास चली गई तो काम नहीं करना है, ऐसा न करें। वङ्कामूठ केवल शब्दों में नहीं, बल्कि काम में दिखना चाहिए। इस तरह का आह्वान भी उद्धव ठाकरे ने इस दौरान पदाधिकारियों से किया। महाविकास आघाड़ी के पदाधिकारी सम्मेलन में मंच पर उद्धव ठाकरे के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत, सुभाष देसाई, दिवाकर रावते, शिवसेना नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोरात, राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील, शिवसेना नेता अनंत गीते, चंद्रकांत खैरे, सांसद अरविंद सावंत, एड. अनिल परब, राजन विचारे, विनायक राऊत, उपनेता सुषमा अंधारे, मुंबई कॉग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील, मुंबई अध्यक्ष राखी जाधव, सांसद सुप्रिया सुले, प्रियंका चतुर्वेदी, विधायक ऋतुजा लटके, मिलिंद नार्वेकर, नसीम खान, असलम शेख, जितेंद्र आव्हाड, भाई जगताप, सतेज पाटील, अमीन पटेल, शेकाप के जयंत पाटील, माकप के कॉ. रानडे, पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, सागर संसारे, मिलिंद सुर्वे।
लोकतंत्र पर अभी भी है खतरा एकजुटता से लड़ें-शरद पवार का आह्वान
महाविकास आघाडी के तौर पर महाराष्ट्र का विचार करना ही पड़ेगा, लेकिन देश पर संकट अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। लोकतंत्र पर खतरा अभी भी बना हुआ है। इस तरह का डर जताते हुए राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि लोकतंत्र के इस खतरे को दूर करने के लिए एकजुटता से लड़ें। इस तरह का आह्वान उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से किया। आघाडी के तीनों प्रमुख दल मित्र पक्षों को साथ लेकर चुनाव का एक विचार से सामना करेंगे और आघाडी के प्रत्याशियों को जीत दिलाएंगे। इस तरह का विश्वास भी शरद पवार ने जताया।
इस मौके पर शरद पवार ने नरेंद्र मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नेता प्रतिपक्ष पद की गरिमा बनाए रखने में पिछड़ रही है। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान मोदी सरकार ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का अपमान किया। शरद पवार ने कहा कि उन्हें वैâबिनेट मंत्रियों की पंक्ति में बैठाने के बजाय पांचवीं पंक्ति में बैठाया गया। अटलबिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान जब हम विपक्ष के नेता थे, तब उन्हें वैâबिनेट मंत्रियों की श्रेणी में शामिल किया गया था। शरद पवार ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को भी वैâबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, लेकिन मोदी सरकार ने इसका पालन नहीं किया।
सत्तारूढ़ दल, विपक्षी दल, प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष संवैधानिक पद हैं। ये लोकतंत्र की संस्थाएं हैं। उनकी गरिमा बरकरार रहनी चाहिए। व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं हैं, पद महत्वपूर्ण है। इनका सम्मान बनाए रखना सत्ताधारियों की जिम्मेदारी है, लेकिन इस साल के स्वतंत्रता दिवस पर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिष्ठा नहीं बची।
यह सरकार जन सुरक्षा-कानून भी लाना चाहती थी। लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार है, लेकिन कानून में सड़कों पर अकेले प्रदर्शन करनेवाले को पांच से सात साल की सजा का प्रावधान है। इस दौरान शरद पवार ने कहा कि यह कानून इसलिए नहीं आ सका, क्योंकि हमारे जन प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जताई थी।