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महायुति सरकार ने नौनिहालों के मुंह से छीना निवाला! …बजट में की १,१०१ करोड़ की कटौती …कैसे दूर होगा कुपोषण

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में इस समय विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। महायुति की ओर से प्रदेश की जनता से कई लोकलुभावन झूठे वादे किए जा रहे हैं। हालांकि, जनता महायुति के हर मंसूबे से वाकिफ है। दूसरी ओर चुनाव के इस घमासान में घाती सरकार के कई कारनामे उजागर हो रहे हैं। इन फेहरिस्तों में नौनिहालों में कुपोषण से जुड़ा मुद्दा भी सामने आया है। इस मामले में इस सरकार ने गजब खेल खेलते हुए कुपोषण को कंट्रोल करने के लिए मंजूर पूरक पोषण आहार बजट में ही १,१०१ करोड़ रुपयों की कटौती कर दी है। ऐसे में नौनिहालों पर कुपोषण भारी पड़ रहा है। संबंधित विभाग को भी न केवल अपर्याप्त संसाधनों से जूझना पड़ रहा है, बल्कि कई उपाय भी अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। इसके चलते अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिरकार राज्य से कुपोषण कैसे दूर होगा।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कुपोषण कोई नया मामला नहीं है। यहां ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में हर साल सैकड़ों की संख्या में नौनिहाल कुपोषण के शिकार होते हैं। हालांकि, साल २०१९ में जैसे ही महाविकास आघाड़ी सरकार सत्ता में आई, उसने कुपोषण को रोकने के लिए कई कारगर कदम उठाए, इससे काफी हद तक कुपोषण के मामले कम भी हुए। लेकिन गद्दारी करके सत्ता में आई शिंदे सरकार ने तत्कालीन सरकार की कई लोकोपयोगी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया। साथ ही यह सरकार राजनीतिक दांव-पेच के चक्कर में फंसी रही। इसका सीधा असर महाराष्ट्र की जनता पर पड़ा और वह इस तरह की योजनाओं से वंचित रह गई। इसमें से कुपोषण को कंट्रोल करने पर बनाई गई नीतियों का भी समावेश है। इस सरकार की ओर से बरती गई लापरवाही के कारण कुपोषण के मामलों में फिर से बढ़ोतरी होने लगी है। दूसरी तरफ कुपोषित बच्चों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में पोषण आहार योजना चलाई गई। योजना पर केंद्र ८० फीसदी और राज्य सरकार २० फीसदी निधि उपलब्ध करा रहा है। हालांकि, शिंदे सरकार के राज में योजना का दम निकलता हुआ दिखाई दे रहा है।

घटिया दर्जे का पोषण आहार!
महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी कृति समिति के राजेश सिंह ने बताया कि राज्य में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिया जा रहा पोषण आहार बहुत ही घटिया दर्जे का है। इस तरह का आहार देकर एक तरह से उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। राजेश सिंह ने कहा कि राज्य में १.१३ लाख आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिसमें २.२६ लाख आंगनवाड़ी सेविकाएं कार्यरत हैं। इन आंगनवाड़ी सेविकाओं की मदद से लाभार्थी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को एक महीने का एक साथ पैकेट बंद पोषण आहार दे दिया जाता है। उन्होंने कहा कि एक लाभार्थी को एक दिन के दिए जा रहे पोषण आहार की कीमत आठ रुपए है। इस तरह राज्य में करीब ८० लाख लाभार्थियों को रोजाना ६.४०, महीने का १९२ करोड़ और सालाना २,३०४ करोड़ रुपए के पोषण आहार दिए जाते हैं।

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