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महायुति सरकार का जुल्मी फैसला …. राज्य में सभी वाहनों के लिए अनिवार्य होगा फास्ट टैग … एक अप्रैल से होगा लागू

सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार ने कल मंत्रिमंडल की हुई बैठक में जुल्मी पैâसला किया है। इसके तहत अब एक अप्रैल से राज्य के सभी वाहनों के लिए फास्ट टैग अनिवार्य कर दिया जाएगा। हालांकि, सरकार के इस पैâसले से टोल नाकों और ट्रैफिक जाम पर किस तरह असरदार होगा, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि यह आम वाहन चालकों को जरूर भारी परेशानियों में डाल सकता है।
मंत्रिमंडल की बैठक में बताया गया कि फास्ट टैग के माध्यम से टोल वसूली में और अधिक दक्षता और पारदर्शिता आएगी। इससे टोल बूथों पर वाहनों की रुकावट कम होगी। साथ ही समय और र्इंधन की भी बचत होगी। बैठक में यह भी कहा गया कि बिना फास्ट टैग वाहनों को दोगुना टोल देना होगा। बता दें कि वर्तमान में सार्वजनिक निर्माण विभाग की १३ सड़क परियोजनाओं और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल की ९ सड़क परियोजनाओं पर टोल वसूली चल रही है। बैठक में बताया गया कि यह पैâसला वहां लागू होगा, जहां टोल वसूली की आवश्यकता होगी।
केंद्र सरकार साल २०२१ से ही किया है अनिवार्य
केंद्र सरकार ने एक जनवरी २०२१ से सभी चार पहिया वाहनों के लिए `फास्ट टैग’ अनिवार्य कर दिया है। सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस संबंध में एक सर्वुâलर जारी किया था। विशेष रूप से यह नियम एम और एन श्रेणी के वाहनों पर भी लागू किया गया था, जिसमें १ दिसंबर, २०१७ से पहले बेचे गए वाहन भी शामिल थे। लेकिन अभी भी कई राज्यों में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।

क्या है फास्ट टैग?
फास्ट टैग एक स्टिकर या टैग होता है, जो आमतौर पर कार की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। टोल शुल्क एकत्र करने के लिए इसे टोल बूथों पर लगाए गए स्कैनर द्वारा स्कैन किया जाता है। यह स्कैनर चार्जिंग के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक का उपयोग करता है। एक बार जब कार टोल प्लाजा पार कर जाती है, तो आवश्यक टोल राशि स्वचालित रूप से बैंक खाते या फास्ट टैग से जुड़े प्रीपेड वॉल से काट ली जाती है। इससे वाहनों को टोल बूथ पर रुकने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। एक बार जब वाहन टोल बूथ पार कर जाता है, तो मालिक को टोल शुल्क के बारे में उसके मोबाइल पर एक एसएमएस एलर्ट प्राप्त होता है।

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