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महायुति सरकार का फरमान… डेटा जमा करो या अनुदान खोओ!.. सरकारी स्कूलों पर गिरेगी गाज

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे अपने शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ की बायोमेट्रिक या फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से जमा करें। ऐसा न करने पर इन स्कूलों के वेतन अनुदान रोकने का फरमान जारी किया गया है।
सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति और छात्रों के डेटा को ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (एपीएएआर) आईडी और विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना अनिवार्य किया है। वीएसके एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो स्कूलों के रिकॉर्ड को रीयल-टाइम मॉनिटर करने और उनका विश्लेषण करने के लिए बनाया गया है।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों को वेतन अनुदान नहीं दिया जाएगा। विभाग ने कहा है कि सरकारी अनुदान पाने के लिए स्कूलों को अपने स्टाफ की उपस्थिति और छात्रों के डेटा से जुड़ी जानकारी सही और समय पर देना अनिवार्य है। सरकार के इस पैâसले से शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन में नाराजगी व्याप्त है। एक प्रिंसिपल ने कहा कि डेटा अपलोडिंग प्रक्रिया में कई तकनीकी दिक्कतें आती हैं, जिन्हें पूरा करना स्कूलों के लिए चुनौतीपूर्ण है। इन शर्तों को लागू करने में समय और संसाधन दोनों की जरूरत होती है। शिक्षकों का मानना है कि इस तरह की सख्ती उनके कार्यों को और जटिल बना रही है, जहां सरकार शिक्षा के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के सामने इसे लागू करने की कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

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