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महायुति सरकार का खजाना खाली … साढ़े ४ लाख शिक्षकों को होंगे वेतन के वांदे! …नए साल में सैलरी के पैसे नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई  
मौजूदा समय में महायुति सरकार का खजाना खाली हो चुका है, इसका असर कई विभागों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर पहले से ही पड़ रहा है। इसी क्रम में सरकारी खजाने में पैसों की कमी के कारण अब नए साल से प्राथमिक, निजी प्राथमिक, मध्य और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के वेतन में भी देरी होगी। ऐसे में राज्य के चार से साढ़े चार लाख शिक्षकों को दिसंबर के वेतन के लिए नए साल में कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। वैसे शिक्षकों के वेतन पर सरकार औसतन ५,५०० करोड़ रुपए खर्च करती है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के जिला परिषद स्कूलों, निजी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों, सहायता प्राप्त निजी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की संख्या लगभग साढ़े चार लाख है। ऐसे में इन सभी के वेतन की कुल राशि सामान्य तौर पर प्रत्येक माह की २५ तारीख को अधीक्षक के पास उपलब्ध हो जाती है। इसके बाद सभी शिक्षकों को १ से ५ तारीख तक वेतन का भुगतान कर दिया जाता है, लेकिन इस बार २७ तारीख बीत जाने के बावजूद महायुति सरकार से शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने के लिए कोई राशि नहीं मिली है।
लाडली बहन योजना फंड पर भी लगा ग्रहण
स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार को हर साल सरकारी खजाने से ६५ से ७० हजार करोड़ रुपए (औसतन पांच हजार ५०० करोड़ प्रति माह) का भुगतान करना पड़ता है। फिलहाल मौजूदा समय में सरकारी खजाने की हालत खराब हो गई है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष २०२४-२५ में एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए ‘आरबीआई’ से मंजूरी ले ली है, जिसमें से ६० हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया जा चुका है। अब खजाने में इतने पैसे नहीं हैं कि रुके हुए प्रोजेक्ट्स, सरकारी योजनाओं के लिए फंड, ‘लाडली बहनों’ के लिए पैसे दिए जा सकें इसलिए सरकार की ओर से शिक्षकों के वेतन के लिए कोई अंशदान नहीं वितरित किया गया है।

शिक्षकों की संख्या
 टीचिंग-नॉन-टीचिंग स्टाफ- ४.५० लाख
 सालाना सैलरी फंड- ६८,००० करोड़ रुपए
 प्रति माह आवश्यक फंड – ५,५०० करोड़ रुपए
 प्रतिमाह वेतन की तिथि – १ से ५ तारीख

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