धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ओबीसी और घुमक्कड़ जनजातियों के लिए ५२ अलग छात्रावास खोले गए। चार महीने पहले यहां ५,२०० छात्रों के प्रवेश को निश्चित किया गया। महायुति सरकार २.० ने सितंबर में एक भव्य समारोह के साथ सभी छात्रावासों का उद्घाटन किया। हालांकि, चार महीने से इस छात्रावास में रह रहे छात्रों को न तो मासिक गुजारा भत्ता और न ही भोजन भत्ता मिला है। इतना नहीं इन छात्रों को शिक्षण सामग्री तक का खर्च नहीं मिला है। ऐसे में अब आरोप लग रहे हैं कि महायुति सरकार २.० में लाडली बहनें अपनी हो गई हैं, जबकि ओबीसी छात्र पराए हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि सरकारी छात्रावास सुविधा के अभाव के कारण ओबीसी और वीजेएनटी छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए शहर में कमरे लेकर किराए पर रहना पड़ता था। इसे देखते हुए विभिन्न संगठनों ने उनके लिए अलग छात्रावास की मांग की थी। दो साल तक संघर्ष करने के बाद सरकार ने इस पर ध्यान दिया और राज्य के सभी ३६ जिलों में १००-१०० छात्रों की क्षमता वाले दो-दो छात्रावास खोलने की घोषणा की। इसके तहत प्रदेश में ओबीसी छात्र और छात्राओं के लिए ७२ छात्रावासों को मंजूरी दे दी गई। इतना ही नहीं अगस्त-सितंबर २०२४ से किराए पर इमारत लेकर उसमें ५२ छात्रावास शुरू भी कर दिए गए हैं। दूसरी तरफ छात्रों को उनके दैनिक खर्च के लिए ८०० रुपए मासिक गुजारा भत्ता और ४,२०० रुपए भोजन भत्ता देने कपैâसला लिया गया है। यह राशि हर महीने छात्रों के बैंक खातों में जमा होने की उम्मीद है। हालांकि, इन छात्रों को रहने के लिए केवल कमरे मिले हैं, जबकि अन्य सुविधाओं से वंचित रखा गया है।