सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में महायुति सरकार ने पिछले ढाई वर्षों से कोई काम नहीं किया है। उसके पहले भी ५ वर्षों तक भाजपा की सरकार थी। भाजपा शासन से लोग तंग आ चुके हैं। महाराष्ट्र में महायुति के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की लहर है। ऐसे में यदि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होता है तो महायुति की यह सरकार एंटी इनकंबेंसीr लहर में डूब जायेगी। यह दावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने किया है। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र की सरकार महारष्ट्र में अपनी हार को देखते हुए फिलहाल चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है। केंद्र की भाजपा सरकार हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में चुनाव नहीं कराएगी बल्कि वह राष्ट्रपति शासन लगाकर अपनी नाकामियों को छुपाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष जो सोच रहा है वह आम जनता भी समझ रही है।
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि प्रदेश में २००९ में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के बाद से अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनाव लगभग एक साथ ही होता है। इन दोनों राज्यों का चुनाव एक साथ होना स्वाभाविक है, लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने विशेष परिस्थितियों या फिर औपचारिक कारणों का हवाला देते हुए महाराष्ट्र चुनाव की घोषणा नहीं की है। हरियाणा में चुनाव ८ अक्टूबर को खत्म होंगे। अब सवाल है कि महाराष्ट्र में चुनाव कब होगा।
तीन साल हो गए मनपा के चुनाव नहीं हुए
पृथ्वीराज चव्हाण ने आगे बोलते हुए कहा कि आज हम देख रहे हैं कि महाराष्ट्र में तीन साल से मुंबई मनपा और अन्य मनपाओं में चुनाव नहीं हुए हैं। हमने संविधान के माध्यम से राजनीतिक आरक्षण दिया है। यदि आप चुनाव नहीं कराने जा रहे हैं तो आरक्षण का क्या फायदा? उन्होंने सवाल उपस्थित करते हुए कहा कि इस सरकार के मन में क्या है, किसी को नहीं पता। उन्होंने कहा कि ९ नवंबर तक राज्य के चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि चुनाव होगा। कोई न कोई कारण बताकर यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा। इसकी पूरी संभावना है।