डॉ. ममता शशि झा
अब शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाब के संदर्भ में चर्चा शिक्षा क्षेत्र के दिग्गज लोक सब के बीच चलि रहल छल। छोट-स-छोट बात पर एक-दोसर के विरोध कर बला सब अहि के विरोध में एकजुट भ गेल छला। सब दलील पर दलील द रहल छलाह जे अहि सँ बच्चा सब के व्यक्तित्व के विकास रुकि जेतइ, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति नहि भेटतइ। लोक सब के इ चिंता नहि छलनि जे अपन राष्ट्र, समाज या परिवार में ओ स्वीकृत होयत कि नहि, मुदा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति के लेल चिंतन भ रहल छल। दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्वीकृति के मुद्दा बना क इ सब बुझइ छलखिन जे विद्यार्थी जॅ अपन मातृभाषा में पढ़त त सबटा विषय के विषय वस्तु के अपने सँ पढ़ी के या घरक लोक के सहायता सँ बुझिए जाएत, तहन अंग्रेजी माध्यम के कारण सब विषय के मुश्किल के डर बैसा के जे येतेक बड़का कोचिंग के व्यापार चलइ छइ से कोना चलतनि। अंग्रेजी भाषा में पढ़ बला के उच्च स्तर के आ क्षेत्रीय भाषा में पढ़ बला के निम्न स्तर बला जे हीन, अहि भावना के जनक इहे व्यापारी वर्ग छथि। दरअसल, पीढ़ी-दर-पीढ़ी जे भाषा के माध्यम सँ आम जनता के शोषण के रहल छथि तिनकर सब के व्यापार ठप्प भ जेतनि ओकर चिंता छलनि, आ सब येक्कही रास्ता पर चले बला छला ताहि लेल येक्कहि सुर में बाजय छला। जाहि डर के मानसिकता के आधार बना क ओ जनता के आइ धरि लुटइत आबि रहल छला, आइ हुनका सब लेल डरक माहौल बनि गेल छल। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल के संगे-संग जे इ सब इंटीग्रेटेड कोर्स चलबइ, छथि, प्रश्न छलनि जे ओकर की होयत?? आई स्तिथि इ अछि जे बच्चा अपने सँ किछु सोचिए नहि सकइया, कियेक त पढ़ के भाषा आ सोच के भाषा दुनु भिन्न रहइ छइ। स्कूल के बात बुझ लेल ट्यूशन क्लास करहे पड़इ, माय-बाप अहि चकरघिन्नी में फैसल त्राहि माम के रहल अछि। अंग्रेज सँ मुक्ति दियाब में जे हमर अहां के पुरखा अपन सर्वस्व बलिदान के देलखिन कि अहि तरह के मानसिक गुलामी में रहि के हुनका सबके आत्म के मुक्ति दिया सकइ छी? अंग्रेज चलि गेल, मुदा इ अंग्रेजी भाषा के जाल स मुक्ति कोना भेटत, कियेक त अंग्रेज के विरोध में हम सब एकजुट छलहुं, मुदा अंग्रेजी के विरोध में नहि, ताहि लेल अंग्रेज सँ मुक्त भ गेलहूं, मुदा अंग्रेजी सँ नहिं!!!