मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामैथिली व्यंग्य : हाथी के दांत

मैथिली व्यंग्य : हाथी के दांत

डॉ. ममता शशि झा मुंबई

नेहा के नाथद्वारा में अपना एनजीओ के माध्यम स सामाजिक कार्य कर लेल पुरस्कृत कर लेल निमंत्रण भेटलनी त प्रसन्न भ गेली। सोचलन्हि एक पंथ दू काज भ जायत। पाटोत्सव में शामिल हेबाक इच्छा भगवान स्वयं पूर्ण के देलथी। ई उत्सव साल में एक बेर मनायल जाईत अछी जाहि में श्रीनाथ जी के गुलाल, अबीर लगायल जाईत छन्हि। बड़ सुंदर माहौल रहईत छई। ट्रेन में सवार भेली त हुनकर बोगी में तीनटा और बुजुर्ग रहथीन, उत्साह और उमंग स भरल, प्रोग्रेसिव विचार के। हुनकर सबके संतान विदेश में बसी गेल छलखिन। ओ सब ओत के संस्कृति, बेटा-बेटी के समान अधिकार, हर कार्य मिलजुली क करके जीवन शैली इत्यादि के बहुत प्रसंशक छलाह। नेहा के कार्य के बारे में पुछलनि त ओ अपन एनजीओ के कार्य के बारे में कहलखिन जे हुनकर एनजीओ नारी सशक्तिकरण, समान अधिकार, विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा अहि सब के क्षेत्र स जुडल काज करई छई। बुजुर्ग महिला समाज में आयल सकारात्मक परिवर्तन, अंतरजातीय विवाह, डाईव्होर्स, पुनर्विवाह इत्यादि पर बात करईत कहलथी जे हम अप्पन बेटा के दोसर विवाह करेने छी, ई पुतोहु बहुत नीक भेटल अछी, बुजुर्ग महिला कहईथ जे ऐकटा विवाह समारोह में हमर संगी ई कथा देखेलक, हम जहीना सुनलियनी जे कन्या विधवा छथी, हिनका एकटा बेटी छनि हम दोसरे दिन हुनका घर जा क हुनका माता-पिता स बात के क पुतहु बना ल अपन घर ल येलहु। नेहा मोने मोन सोच लगली जे कतेक आधुनिक विचार के महिला छथीन्ह, हिनका सनके लोग अगर समाज में भ जेतई त हमरा सबके एनजीओ चलाब के काज नहि पड़त। नेहा के मोन में ओहि बुजुर्ग महिला के लेल आदर और बढ़ी गेलनि। ‘अहां बेटी रहला के बादो अपन बेटा के विवाह हुनका स किया केलियनी?’ नेहा जिज्ञासावश पुछलखिन।
‘नई बुझलियइ हम त ओकरा बेटी छलई ताहि दुआरे चट्ट स ह कही देलियई कियाक त हमरा पोता अछी, अगर हिनको बेटा रहितनी ते संपत्ति दुनू में बटा जईता, बेटी रहला स कोनो झंझट नहीं, बियाह के क ओ अपन ससुर चली जायत आ हमर पोता संपत्ति के असगरे मालिक रहत। घर के देखभाल कर लेल समझदार लोकबेद सेहो भेट गेल।
हम अबाक भे हुनकर मूंह देखईत रही गेलहूं!!!

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