डॉ. ममता शशि झा
मुंबई
‘तीन बत्ती वाला गोविंदा आला, गोविंदा, गोविंदा, गोविंदा’ गीत सुनइत सुरभि के पांच साल के बेटा नील घर में काज कर बाली रिमझिम के बेटा मोनू के हाथ पकडी क नाच लागल। इ देखिते सुरभि चट द गीत के बंद क, कहलखिन ‘चलू नीचा कंपाउंड में मटकी फोड़ के बेर भ गेल छइ, तैयार क दइ छी अहां के। मोनू अपन माय के मूंह देख लागल, रिमझिम के मोन में टीस उठी गेलनि, जबरदस्ती मुस्कियाइत बजली ‘चलु ने अपनो बस्ती में खूब गीत बजतइ, अहां खूब नाचब आ मटकी फोड़ब।’ मोनू खुश भ गेल। सुरभि नील के पियर रंग के सिल्क के धोती-कुरता पहिरा कऽ कंपाउंड में ल जाय लगलखिन त नील दौड़ी क मोनू के हाथ घीच लागल चल लेल, सुरभि नील के हाथ खींच क ल गेली। दुनु बच्चा किछु नहि बुझि पायल। दुनु के माय बुझी रहल छलि। रिमझिम मोनू के ल क नीचा गेली त मोनू ओत मटकी फोड़ब देख लेल जिद्द कर लगलनि, रिमझिम सोचलनि ओहुना हुनका बस्ती में सब काज पर स ऐतनि तहने मटकी फोड़ल जेतइ, मोनू थपड़ी पीट-पीट कऽ आनंदित भ क सबटा, खेल देख लागल, रिमझिम सतर्क छली जे मोनू ओहि बच्चा सब लग नहि चलि जाय। मटकी फोड़ काल में क्यो माय अपना बच्चा के कंधा पर ककरो पैर रखनाइ बर्दाश्त नहीं क रहल छलि। त कहइ जाय गेलखिन जे सब स नीचा में गार्ड, घर में काज कर बला, गाड़ी धोअ बला के ठाड क देल जाय, ओकर ऊपर चारी टा बच्चा, आ सबे उपर एकटा बच्चा जा के मटकी फोड़ी लेल जाय। रिमझिम मोने-मोन सोच लगली सब सँ नीचा हरदम गरीबे के किया राखल जाय छइ!! रिमझिम इ सोचिते छलि कि सुरभि बजली ‘हमर बच्चा नहीं सब स उपर जायत, मटकी के पानी स ओकरा एलर्जी भ जेतइ, इ बात सुनि क सब माय ओकर बात सँ सहमती भ गेलखिन, फेर व्येह बात, मटकी कोना फुटत, कियेक त सब माय के अपना के जशोदा आ अपना बच्चा के कृष्ण देखबइत सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड कर के छलनि, अपन संस्कृति के निर्वाहक रूप में देखबइत। एकमत स सब कहलक जे गार्ड सब नीचा में ठाड भ जेता आ मोनू के ऊपर चढ़ा क मटकी फोड़बा लेल जाय, कानी रस्सी के निच्चा के के, सब बच्चा सब फुटलाहा मटकी के छू क फोटो खींचा लेता, रिमझिम इ बात सुनि क ओत सँ चुपेचाप बिदा भे गेली अपन बस्ती में असली में मटकी फोड़ के उत्सव मनाब के लेल!!