डॉ. ममता शशि झा
मुंबई
आइ मतदानक दिन छल। भोरे से सब राजनैतिक दल के कार्यकर्ता सब वृद्ध लोकनि के सब से बेसि चिंता कर बला व्यक्ति के रूप में साबित कर में लागल छला, गाड़ी के व्यवस्था आ असगर रह बला वृद्ध के संगे ल जाय लेल एकदम तत्पर। एक सप्ताह पहिने से सब वृद्ध लोकनि के आशीर्वाद लेब के प्रक्रिया वैंâडीडेट्स के शुरू छलनि, आ सबके इ आश्वस्त कर के कोशिश में जे अपन बेटा से बेसी इ सब हुनकर सब के ध्यान रखथिन, चुनाव जितला के बाद। रामरतन जी अहि तरहक व्यवहार के हर पांच साल में पुनरावर्तन के अभ्यस्त छला, व्यंग्यात्मक मुद्रा में सबटा खेल देखइत सोचि रहल छला जे अहि तरहक वृद्ध के सेवा-भाव के सोच राजनैतिक दल के प्रत्येक तीन महिना में पांचों दिन के रहतनि ते अस्पताल जाय लेल जे वृद्ध सब परेशान रहइ छथि ताहि परेशानी से बचि जेता। रामरतन जी हर बेर सोच-बिचारि के आ निष्ठाभाव स अपन भोट देब जाए छला किएक ते लोकतंत्र में भोट के महत्व आ ताकत ओ बुझइ छलखिन, मुदा अहि बेर बहुत परेशान आ चिंतित छला, जे अहि बेर कोन दल के भोट दिय कियेक त जाहि दल के वैंâडिडेट के इ भोट देने छलखिन, ओ नेता दल बदलि क ओहि दल में चलि गेल छल, जाहि दल आ मुद्दा के विरोध में ओ चुनाव लड़ने छल आ जनता अपन अमूल्य भोट दे के हुनका जितेने छल!! आइ सब राजनैतिक दल अपन गुण नहि, बल्कि विपक्ष पार्टी के अवगुण के देखा के आम जनता के भ्रमित कर में लागल छल। चुनाव लड़ से बेसी अपने में लड़इ छला। लोकतंत्रक अहि महापर्व के मजाक बना के राखि देने छथिन। ओ जनइ छला जे चुनाव में बहुतो दल त खालि अहि लेल ठार होइ छइ जे कोनो राजनैतिक दल किछु पाइ द के अपना में मिला लेतनि त दू टा टाका कमा लेता। छोटका दल के नेता सब अपन भोटर के, जाहि दल से ओ जुड़िए जाय छला, ओहि दिस मोड़ि दइ छलखिन, मुदा इ सब चुनाव से पहिने तय भ जाइ छलइ। जनता के सामने एकदम स्पष्ट स्वरूप रहइ छलइ, मुदा आब ते चुनाव के परिणाम के बाद अपन भोट देल नेता कोन दल में चलि जायत तकर कोनो ठेकाने नहि अछी!! लोकतांत्रिक व्यवस्था में भोट के शक्ति के संगे के खिलबाड़ देखि के मोने-मोन इ सोचइत बूथ पर गेला जे अहि बेर अपन भोट के ताकत नोटा बटन दबा देबनि!!!