डॉ. ममता शशि झा
मुंबई
रामगुलेठी बाबू चुनाव के समय सब में नेता लोकनि के भाषण में दर्शक जुटाब के काज करइ छला। बढ़िया आमदनी होइ छलनि। चुनाव जीत सँ पहिने नेता सब, सब बेरोजगारी हटा रहल छलखिन, ऐना बुझाइ छलनि। भाषण कुनु पार्टी के नेता के होनि, दर्शक येक्कहि!! सब पार्टी के कार्यकर्ता सब हिनके लग अबइ छलखिन। जतेक ओल-भकोल छल सब बरसाती बेंग जकां नेता बनि क ओहि भीड़ के हिस्सा बन लेल आतुर रहइ, सबके मुट्ठी गर्म भ जाय छले अहि काल में, दर्शक बनि बैसले-बैसल पाइ भेटइ त ककरा नीक नहि लगतइ! विशेषत: स्त्रीगण लोकनि के लेल इ महीना चहल-पहल बला रहइ छलनि, दर्शक बनि क गेला सँ, दू टा पाइयो भेटइ छलनि आ नबकी सखि-बहिनपा सब सेहो। अस्तु चुनाव के लेल दर्शक जुटाब में हुनका विशेष दिक्कत के अनुभव नहिं होय छलनि, मुदा चुनाव में अहि कार्य सँ आमदनी बरखा के अछार जकां छलनि। चुनावी मेघ बीसूकि गेलनि त काज खतम। रामगुलेठी बाबू के सब दल के नेता संगे नीक संबंध, कियेक त सब नेता के सम्मान के भीड़ जुटा के बचेने छलखिन। सब नेता लग जाय क कहलखिन जे आब हमर कमेबाक उपाय करू। येकटा दल के नेता परिहास बाबू कहलखिन ‘जे अहाँ जाहि काज में निपुण छी ताहि लेल त कार्यक्रम के आयोजनक आवश्यकता छइ, येहन कार्य जाहि में उपस्थित रह बला के पाइ भेटइ आ दर्शक के आवश्यकता होइ, जाहि में अहाँ दर्शक जुटाक पाइ कमा सकी।’ बुद्धि बाबू जे पार्टी के सलाहकार छलखिन बजला ‘सब राजनैतिक दल बला सब साहित्यिक गोष्ठी के आयोजन करू, किएक त अहु में श्रोता जुटेनाइ, अहि मीडिया के दौर में कठिन भ गेल छइ आ दोसर गप्प जे लेखक आ कवि सबहक होइ छथिन, कोनो तरहक विवाद नहि होयत। प्रबुद्ध वर्ग के लोक अपना आप के पैघ बुझि क जा धरि मंच पर नहिं बजेतनि ता धरि नहिं जेता।’ रामगुलेठी बाबू, ‘ठीके कहलियइ, मुदा अहि में दर्शक नहि श्रोता चाही, जे बीच-बीच में बाह-बाह कहइत थपड़ी पीट सके।’ परिहास बाबू, ‘ठिके, कनी पढ़ल-लिखल, मुदा जिनका लग खाली समय छनि, जे कार्यक्रम में हिस्सा बनि के सोशल मीडिया पर फोटो साझा के के खुश भ जाय छथी, येहन श्रोता अहाँ सँ पाईयो नहि मंगता, हुनका लोकनि के लेल गाड़ी के सुविधा, भोजन के प्रबंध आ जे क्यो प्रसिद्ध व्यक्ति येता हुनका संगे नीक फोटो खिचाब के प्रबंध कर पड़त!!
तीनु गोटे के कमेबाक रस्ता भेट गेल छलनि।