-तीन हजार बच्चों के जीवन से खिलवाड़
-१,७०० गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा प्रभाव
-104 आंगनबाड़ियों में अंडा, केला और अमृत आहार बंद
योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
सरकार की तरफ से चलाई जा रही कुपोषण मुक्त योजना का पालघर में बुरा हाल है। एक तरफ राज्य में कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए बच्चों को पौष्टिक आहार देने की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी प्रावधानों के बावजूद पालघर में बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाले अमृत पोषण आहार में करीब एक साल से अंडा और केला नहीं मिल रहा है।
पालघर जिले के ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में वर्गीकृत 104 आंगनबाड़ियों का अमृत पोषण आहार करीब एक साल से बंद है। इससे छह वर्ष से कम उम्र के तीन हजार से अधिक बच्चों पर कुपोषण का कहर बरपने की आशंका है, साथ ही 1,700 से अधिक स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को भी पोषण आहार न मिलने से उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है।
पहले ये आंगनबाड़ियां ग्रामीण क्षेत्रों के पेसा सेक्टर (अनुसूचित जनजाति क्षेत्र) में बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय के अधीन थीं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को 16 दिन अंडे और केले दिए जाते थे, जबकि आदिवासी विकास विभाग की निधि से अमृत आहार योजना के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को माह में 25 दिन पूर्ण पोषण आहार दिया जाता था।
मार्च 2023 से पालघर जिले में शहरी बाल विकास परियोजना का नव निर्माण किया गया और आंगनबाड़ी का नव पुनर्गठन किया गया। 104 आंगनबाड़ी केंद्रों को समायोजित किया गया। इसलिए ये आंगनबाड़ियां गैर-भुगतान वाले क्षेत्र में आ गईं। इसके बाद आदिवासी विभाग की ओर से 104 आंगनबाड़ियों के पोषण निधि के प्रस्ताव को रोक दिया गया है।
पिछले वर्ष से राशि न मिलने के कारण इन आंगनबाड़ियों के अति गंभीर कुपोषित, गंभीर कुपोषित बच्चों सहित कम वजन वाले बच्चों को अंडा और केला देना बंद कर दिया गया है। अत: ये बच्चे पोषण आहार के अभाव में कुपोषण का शिकार हो सकते हैं।
साथ ही स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को भी अमृत आहार नहीं मिल रहा तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि कुपोषण भविष्य में पैदा होने वाले बच्चों को प्रभावित करेगा। परिणामस्वरूप पालघर जिले में कुपोषण एक बार फिर कहर बरपा सकता है।
मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार, 104 आंगनबाड़ियों में 1,720 स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाएं थीं और 3,142 बच्चे थे। इन आंकड़ों के अनुसार, लगभग चालीस बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित थे। ये आंकड़ा 2023 का है। इस बात की पूरी संभावना है कि साल बीतने के साथ-साथ ये आंकड़े बढ़े होंगे। आंगनबाड़ियों से अमृत आहार योजना के तहत स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार के रूप में दी जाने वाली धनराशि 45 रुपए प्रति लाभार्थी स्वीकृत है। बच्चों को पोषण के तौर पर अंडा और केला दिया जाता है। इसके लिए प्रति लाभार्थी छह रुपए की धनराशि स्वीकृत है।
तालुका – आगनवाड़ी – महिलाए – बच्चे
डहाणू – २० – २३८ – ४०७
मोखाडा – २२ – २०५ – २३८
जव्हार – १२ – १५४ – २७१
तलासरी – २१ – ३९९ – ५८४
विक्रमगड – ११ – १३६ – १६७
वाडा – १८ – १३० – ४९४
कुल – १०४ – १,७२० – ३,१४२