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मैंग्रोव्ज उजाड़कर बना दिया बागान! आरटीआई एक्टिविस्ट ने लगाया आरोप, वन विभाग की भी आंखें रहीं बंद

सामना संवाददाता / नई मुंबई
तकरीबन ६ महीने पहले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद रामशेठ ठाकुर बड़े जोर-शोर के साथ २२ एकड़ में पैâले शानदार रामबाग गार्डन का लोकार्पण किया। लोकार्पण के वक्त उन्होंने कहा था कि उनका जन्म इसी जगह हुआ, वे यहीं खेले, पले-बढ़े और सांसद बने। इस गांव के लिए कुछ अलग करना चाहते थे, जिसके चलते यह बागीचा तैयार हुआ। लेकिन इस रामबाग के लिए सबसे भारी कीमत चुकानी पड़ी मैंग्रोव्ज को। इसके निर्माण में अंधाधुंध मैंग्रोव्ज को नष्ट किया गया। ऐसा आरोप लगाते हैं एक स्थानीय सोशल एक्टिविस्ट वैभव म्हात्रे।
उनका कहना है कि यह बागीचा एक रात में तो तैयार नहीं हुआ, जब यह तैयार हो रहा था उस वक्त सिडको, जिसके पास इसका मालिकाना हक है वह क्या कर रहा था? म्हात्रे का कहना है कि उन्होंने इस बारे में सिडको को बार-बार आगाह किया, लेकिन कानों में तेल डाले बैठा रहा। वे बताते हैं कि इस बात की जानकारी उन्होंने वन विभााग को भी दी थी, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकले।
जब निर्माण कार्य चल रहा था वैभव ने ५ मिनट का वीडियो तैयार किया, जिसमें मैंग्रोव्ज को खत्म करने के लिए किस तरह से मलबा डाला गया, दिखाया गया है। वैभव ने गूगल उपग्रह द्वारा खींची गई तस्वीरों से भी साबित करने की कोशिश की कि रामबाग जिस जगह बना हुआ है, वहां पर कभी मैंग्रोव्ज हुआ करते थे। जब वैभव को लगने लगा उनकी बातों को सिडको गंभीरता से नहीं ले रहा है, तब उन्होंने आरटीआई का सहारा लिया। उन्होंने जमीन के मालिकाना हक और बनाए जा रहे बागीचे की डीपी व अन्य संबंधित जानकारी सिडको से मांगनी शुरू की। वैभव बताते हैं कि आरटीआई के तहत मिले जवाब के मुताबिक, सिडको रिकॉर्ड के अनुसार सिडको की जमीन पर गार्डन का निर्माण सभी नियम और कानून को ताक पर रख कर किया गया है।
सिडको का भी मिला साथ
ग्राम पंचायत से जुड़े एक पुराने सदस्य बताते हैं कि गार्डन की जगह सिर्फ एक मंदिर हुआ करता था और सारी की सारी जमीन कांदलवन (मैंग्रोव्ज) से घिरी हुई थी। यह बात सच है कि यह जमीन कभी हमारी हुआ करती थी, जिसे सिडको ने हमसे ले लिया था। वैभव कहते हैं कि इस पूरे निर्माण कार्य में सिडको का पूरा सहयोग रहा डायरेक्ट या इनडायरेक्ट, क्योंकि उनके परिवार का एक सदस्य सिडको का डायरेक्टर था। आज भले सिडको इस मामले में जांच करने की बात कह रही है, लेकिन उस वक्त जब मैं बार-बार सिडको को इस बारे में जानकारी दे रहा था तो कोई एक्शन नहीं लिया गया।
नहीं लिया गया एक्शन
विवेक की शिकायत के आधार पर विभाग के एक अधिकारी ने भी अपनी जांच-पड़ताल में स्वीकार किया था कि वहां पर मैंग्रोव्ज नष्ट किया जा रहा था और मेटल फ्लैप्स लगाकर पानी के बहाव को रोका जा रहा था, लेकिन इस रिपोर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। आदेश की अवमानना
मैंग्रोव्ज और पर्यावरण के मसले पर लड़ाई लड़ रहे नेट कनेक्ट संस्था के एबीएन कुमार मैंग्रोव्ज नष्ट करने के मामले को लेकर हाईकोर्ट (मैंग्रोव्ज कमेटीr) तक पहुंचे। व्यथित कुमार कहते हैं कि मैंग्रोव्ज कमेटी के इस आदेश को, कि मैंग्रोव्ज का इलाका सिडको वन विभाग को दे, ताकि वह उसकी रक्षा कर सके, सिडको ने अभी तक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को नहीं सौंपा है। यह सीधे-सीधे हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना है। सिडको की लापरवाही के चलते नई मुंबई के तटीय इलाकों में मैंग्रोव्ज को खत्म करने का काम रहा है और लगभग २,००० मैंग्रोव्ज खत्म कर दिए गए हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?
रामबाग के बाबत पूर्व भाजपा सांसद रामशेठ ठाकुर सभी आरोप को गलत बताते हैं। वह कहते हैं कि रामबाग के निर्माण में मैंग्रोव्ज को हाथ तक नहीं लगाया गया है। जहां पर रामबाग का निर्माण हुआ, वह गांव वालों की जगह है हमारी खेती की जमीन। मेरा जन्म यहीं उत्तर पाड़ा नावा ग्रामपंचायत में हुआ, हमारा बचपन गुजरा है। यहां कोई मैंग्रोव्ज नहीं था। १९७५-७६ में सिडको ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। सिडको ने यहां की १२ सौ एकड़ जमीन का मुआवजा सिर्फ १५,००० रुपए एक एकड़ के हिसाब से नई मुंबई शहर बसाने के लिए मैंग्रोव्ज के लिए नहीं दिया। मुआवजे के तौर पर क्या किया कुछ नहीं..बेघर छोड़ दिया। गांव वालों की मदद से मुझे व्यक्तिगत तौर पर यह रामबाग बनाना पड़ा, क्योंकि सिडको इस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ भी नहीं कर रहा था। बागीचे का निर्माण किसी व्यावसायिक हित के लिए नहीं किया गया था, बल्कि खाड़ी के क्षतिग्रस्त बांधों के कारण गांव के भीतर बाढ़ जैसी स्थिति को रोकने के लिए यह आवश्यक था।

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