सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र में मोदी सरकार भले तीसरी बार सत्ता में आई है, लेकिन हिंसावादी घटनाओं को लेकर मोदी सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के फटकार के बाद भी मोदी सरकार ने मणिपुर हिंसा को लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। मणिपुर में हिंसा से लोगों की जिंदगी तबाह हो गई। कुछ दिनों पहले सचिवालय के सामने कुछ मकान जलकर खाक हो गए और हमारे पीएम मोदी इटली में पीएम जॉर्जिया मेलोनी के साथ सेल्फी लेने में व्यस्त थे। जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर कमेंट शुरू हैं। एक तरफ मणिपुर में हिंसात्मक घटनाओं, आगजनी तो दूसरी तरफ जॉर्जिया मेलोनी के साथ मोदी की सेल्फी वाली फोटो को जोड़कर नेटकरी कटाक्ष कस रहे हैं।
सोशल मीडिया पर निलेश दुष्यंत ने कमेंट करते हुए कहा कि मणिपुर में हिंसा की घटना अभी भी पूरी तरह से थमी नहीं है। हमारे प्रधानमंत्री को मणिपुर में जाकर हिंसा से प्रभावित लोगों की समस्याओं पर निर्णय लेना चाहिए, लेकिन यहां तो हमारे प्रधानमंत्री इटली में मौज कर रहे हैं। अंकित प्रसाद ने कहा कि मणिपुर आज भी उबर नहीं पाया है। रह-रहकर कहीं भी आग धधक उठती है। दो समुदाय के बीच जो खाई बनी है वह बढ़ते ही जा रही है। इसे पाटने के लिए प्रधानमंत्री को उचित कदम उठाना चाहिए, पर हमें यहां कुछ और ही दिख रहा है। कांग्रेस के नेता सचिन सावंत ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री को वैâमरे के सामने आना, सेल्फी निकालना, सोशल मीडिया पर चमकना ज्यादा बेहतर लगता है, ना की जमीन से जुड़ी समस्याओं को लेकर स्थानीय लोगों के साथ मुलाकात कर उनकी समस्या को हल करने का प्रयास करना। जबकि पीएम मोदी और जॉर्जिया मेलोनी की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें जॉर्जिया मेलोनी पीएम मोदी के साथ सेल्फी ले रही हैं। दोनों ही वर्ल्ड लीडर एक-दूसरे के साथ खड़े हैं और मुस्कुरा रहे हैं।
बता दें कि ३ मई २०२३ को मणिपुर के दो समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा का असर सिर्फ घाटी में ही सीमित नहीं रही, जब हालात बिगड़े तो उसने पूरे राज्य को अपनी चपेट में ले लिया। घर, गांव, शहर जल रहे थे, कहीं पुलिस स्टेशन लूटे जा रहे थे तो कहीं गोलीबारी हो रही थी। लंबे संघर्ष के बाद मणिपुर के जमीनी हालात पर कुछ हद तक काबू पाया गया। लेकिन पहाड़ी और घाटी में रहने वाले दो समुदायों के बीच दुश्मनी की खाई और गहरी हो गई है। जिसे लेकर मोदी सरकार ने उस हिंसा को रोकने के बजाय नजरअंदाज किया। अब जाकर आरएसएस भी जागा है। आरएसएस ने सीधे मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए और हिदायत तक दे दी कि मणिपुर की हिंसा पर काबू पाना सरकार की जिम्मेदारी है।