सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मणिपुर बीते तीन महीनों से सुलग रहा है। तीन महीने बीत जाने के बाद भी वहां हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। मणिपुर प्रकरण की जांच के लिए तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति की स्थापना की गई है। तनावग्रस्त क्षेत्र में सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में वहां की स्थिति के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें झकझोरनेवाली जानकारियों का खुलासा हुआ है।
बीते कुछ महीनों में मणिपुर में भयंकर हिंसा देखने को मिली। हिंसा रोकने के लिए केंद्र ने सूबे में बड़े पैमाने पर सेना को तैनात किया है। राज्य में हिंसा के दौरान कई जगहों पर बलात्कार, हत्या जैसी घटनाएं घटी हैं। अब प्रशासन ने इन अपराधों के संबंध में विस्तृत जानकारी देनेवाली रिपोर्ट साझा की है, जिससे कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं।
३ रिटायर्ड महिला जजों की समिति गठित
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। इस दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने मणिपुर हिंसा की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए हिंसा प्रभावित छह जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी गठित करने का निर्णय लिया है। तो वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के तीन पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाने का आदेश देंगे। यह कमेटी जांच, राहत कार्यों, उपचार, मुआवजे, पुनर्वास आदि कामों की निगरानी करेगी। तीन पूर्व न्यायाधीशों की समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति शालिनी जोशी, न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी।