सामना संवाददाता / मुंबई
सर्जरी से अब मेडिकल छात्रों का मोह भंग हो रहा है। विद्यार्थी इस विभाग से कन्नी काट रहे हैं। टॉप रैंक वाले नीट पीजी के अभ्यर्थी व्यापक विशेषज्ञता के लिए सामान्य चिकित्सा और रेडियो-डायग्नोसिस जैसे ब्रांच को अधिक महत्व दे रहे हैं। बता दें कि इस साल एमडी/एमएस प्रवेश के लिए जारी पहली अखिल भारतीय आवंटन सूची में
टॉप १०० कैंडिडेट्स में से ५३ ने सामान्य चिकित्सा और ३५ ने रेडियो-डायग्नोसिस को चुना है। इसके अलावा गायनोलॉजी को सिर्फ दो फीसदी और सर्जरी को केवल ४ फीसदी कैंडिडेट्स ने ही चुना। मिली जानकारी के अनुसार, एक समय की लोकप्रिय ब्रांच, जनरल सर्जरी में शीर्ष १०० की सूची में केवल चार उम्मीदवार थे। सामान्य चिकित्सा कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी जैसे सुपरस्पेशलिटी क्षेत्रों में विशेषज्ञता का मार्ग प्रशस्त करती है, जिसमें कम निवेश की आवश्यकता होती है और डॉक्टरों के लिए प्रारंभिक स्थिरता आती है, जबकि सर्जरी के लिए अधिक वर्षों, अधिक श्रम, अधिक प्रतिबद्धता और भारी निवेश की आवश्यकता होती है। केईएम अस्पताल के पूर्व डीन डॉ. अविनाश सुपे ने कहा कि रेडियो-डायग्नोसिस काफी समय से लोकप्रिय है। छात्र इन दिनों सामान्य चिकित्सा की शाखाओं को भी पसंद करते हैं, जिनमें मेडिकल सुपरस्पेशियलिटी क्षेत्रों के लिए संभावनाएं हैं, जो सर्जिकल की तुलना में जल्दी आय स्थिरता प्रदान करती हैं। सर्जरी, जो एक समय में सबसे अधिक मांग वाली शाखा थी, उसके लिए अधिक प्रतिबद्धता, अधिक समय की आवश्यकता होती है।