सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना वायरस पिछले तीन साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बना हुआ है। हालांकि, दुनियाभर में बीते कुछ महीनों से संक्रमण के नए मामले कम रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। इन सबके बीच पिछले सप्ताह अमेरिका के कुछ स्टेट्स में नए ईयू.१.१ वैरिएंट के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों की चिंता जरूर बढ़ी है। इन सबके बीच हाल में हुए एक शोध में बताया गया है कि मानसिक रोगों का इलाज करा रहे लोगों में कोविड का खतरा कम होता है। शोध में सामने आए इस नतीजे से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
कोविड-१९ से बचाव और इलाज को लेकर अब भी अध्ययन जारी है। इसी को लेकर हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि डिप्रेशन के मरीजों को दी जाने वाली एंटीडिप्रेसेंट दवाएं कोविड संक्रमण में फायदेमंद हो सकती हैं। कोरोना संक्रमण को ब्लॉक करने में इसके लाभ देखे गए हैं। बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि कुछ प्रकार की सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) दवाएं, कोविड-१९ के संचरण और शरीर में इसे गंभीर रोग का जोखिम बनने से रोकने में कारगर हो सकती हैं। इसके लिए यूनाइटेड किंगडम में ५,६०० से अधिक मानसिक रोगियों के बीच संक्रमण के खतरे को समझने का प्रयास किया गया, जिसमें पाया गया कि ये दवाएं कोरोना को ब्लॉक करने में कारगर हो सकती हैं। इसका मतलब है कि कोविड के रोगियों में इन दवाओं से लाभ मिल सकता है।
संक्रमण का देखा गया कम जोखिम
यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के सेंटर फॉर इनफेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी (सीआईडीआरएपी) के शोधकर्ताओं ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य रोगी जो पिछले करीब ९० दिनों से एसएसआरआई दवाएं ले रहे थे, उनमें कोविड संक्रमण होने का जोखिम लगभग ४० फीसदी तक कम देखा गया है। शोध से पता चला कि कोविड के नकारात्मक परीक्षण वाले करीब २८ फीसदी रोगियों ने पिछले ९० दिनों के भीतर कम से कम एक एंटीडिप्रेसेंट दवा ली थी।
प्रभावी हैं एंटीडिप्रेसेंट दवाएं
सीआईडीआरएपी के शोधकर्ताओं ने नोट किया कि एसएसआरआई दवाओं में फ्लूवोक्सामाइन (लुवोक्स) और फ्लुओक्सेटीन (प्रोजैक) सहित कुछ केमिकल कंपाउंड्स पाए जाते हैं। इनके प्रभावों को लेकर महामारी के दौरान विभिन्न समूहों द्वारा अध्ययन भी किया गया था। कोरोना वायरस से सुरक्षा या उपचार के संबंध में इनके मिले जुले परिणाम देखे गए थे। इस अध्ययन में पाया गया है कि ये दवाएं सभवत: कोरोना के जोखिमों को ब्लॉक करनेवाली हो सकती हैं। इससे कोरोना संक्रमण के जोखिमों को कम करने में भी लाभ मिल सकते हैं।