मुख्यपृष्ठनए समाचारटेरर का मर्जर!टीटीपी-अलकायदा का मिलन दुनिया पर ढाएगा कहर

टेरर का मर्जर!टीटीपी-अलकायदा का मिलन दुनिया पर ढाएगा कहर

कॉर्पोरेट सेक्टर में जिस तरह से बड़ी कंपनियों का मर्जर होता है अब कुछ वैसा ही नजारा आनेवाले दिनों में टेरर यानी आतंक की दुनिया में भी देखने को मिलनेवाला है। इस संबंध में सीमा पार पाकिस्तान व अफगानिस्तान से आनेवाली खबरें काफी चिंताजनक हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बड़े आतंकवादी संगठन आनेवाले दिनों में मिलकर एक हो सकते हैं। इनमें टीटीपी और अलकायदा का नाम प्रमुख है। अब अगर ऐसा होता है तो आतंकी संगठनों का यह संगम दुनिया को तबाही के रास्ते पर ले जाएगा।
पाकिस्तान में आतंकी संगठन टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) ने इन दिनों खूब तबाही मचा रखी है। पाकिस्तान में आए दिन आतंकी हमले हो रहे हैं। इसी बीच खबर है कि टीटीपी खुद को और बड़ा करने की योजना बना रहा है। इसके लिए टीटीपी, अलकायदा के साथ विलय करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तानी मीडिया डॉन की खबर के अनुसार, यूनाइटेड नेशंस को सौंपी गई एक निगरानी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि दुनिया के आतंकी संगठन विश्व में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे में कई आतंकी संगठन एक छत के नीचे आ सकते हैं, जिसमें प्रतिबंधित टीटीपी, अलकायदा के साथ विलय कर सकता है। यह दुनिया भर के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा।
खतरा बन सकता है टीटीपी
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अल कायदा में टीटीपी का विलय हो सकता है। साथ ही इस बात की भी संभावना जाहिर की गई है कि अलकायदा ही पाकिस्तान के भीतर बढ़ते हमलों के लिए टीटीपी का मार्गदर्शन कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, टीटीपी ने अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के जनजातीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के अपने प्रयास को तेज कर दिया है। उन्हें साफ तौर पर तालिबान का समर्थन प्राप्त है। अगर टीटीपी का अफगानिस्तान में सुरक्षित संचालन आधार बना रहा तो यह एक क्षेत्रीय खतरा बन सकता है।
बुद्धिजीवी भी चपेट में
अब सिर्फ जाहिल ही आइसिस और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों की कट्टर विचारधारा से प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि पढ़े लिखे बुद्धिजीवी भी धार्मिक कट्टरता की चपेट में हैं। पुणे से गिरफ्तार आतंकी अदनान अली एक डॉक्टर है। उस पर आइसिस के लिए काम करने का आरोप है। डॉ. के घर की तलाशी के दौरान जांच एजेंसी को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, आतंकी संगठन आइसिस से जुड़े संबंधित कई दस्तावेजों के साथ दूसरी आपत्तिजनक सामग्री भी मिली है। इससे पहले गत वर्ष अहमद मुर्तजा नाम के एक आतंकी ने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर पर हमले का प्रयास किया था और उसे रोकने की कोशिश में यूपी पुलिस का एक जवान घायल हो गया था। मुर्तजा ने आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और कई बड़ी कंपनियों में काम कर चुका था। लेकिन सोशल मीडिया के जरिए वो आइसिस के आतंकियों के संपर्क में आया और फिर उनके भड़काऊ विचारों से इतना प्रभावित हुआ कि खुद आतंकी बन गया। मुर्तजा को विशेष अदालत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध में फांसी की सजा सुना चुकी है। इसी तरह इसी वर्ष फरवरी में जयपुर में एनआईए की विशेष अदालत ने मोहम्मद सिराजुद्दीन नाम के एक आतंकी को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध में ७ वर्ष की सजा सुनाई थी। सिराजुद्दीन इंडियन ऑयल का सीनियर मार्वेâटिंग मैनेजर था।
छोटे आतंकी संगठनों की अगुवाई
रिपोर्ट में किए गए दावे के अनुसार, कुछ यूएन सदस्य देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि टीटीपी सभी छोटे आतंकी संगठनों की अगुवाई कर सकता है, जिससे ये सभी ताकतवर हो सकते हैं। ऐसे में दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने वाली यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में पाकिस्तान की शिकायत का समर्थन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि तालिबान के अधिग्रहण के बाद से प्रतिबंधित टीटीपी ने अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ा दिया है।

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