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गड़बड़ाया मौसम बढ़ सकती है महंगाई! …१५ जून तक सामान्य से ५० फीसदी कम हुई बारिश

•  प्याज, टमाटर, आलू की कीमतों में इजाफा संभव
• विदेशी ब्रोकरेज हाउस ने किया बड़ा दावा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
उमसभरी गर्मी से बेहाल मुंबई सहित पूरे देश की जनता को उम्मीद थी कि जल्द ही मानसून आएगा और उन्हें गर्मी की मार से निजात मिलेगी। लेकिन मानसून अभी तक पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुआ है, बल्कि आमतौर पर १५ जून तक होनेवाली औसत बारिश का ५० फीसदी पानी ही अब तक बरसा है। इससे खरीफ की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हुई है और आशंका जताई जा रही है कि मई महीने में जो खुदरा महंगाई दर २५ महीने के निचले स्तर ४.२५ फीसदी पर आ गई थी उसमें एक बार फिर उछाल आ सकता है। अर्थात मानसून की सुस्त चाल देश में एक बार फिर से महंगाई बढ़ा सकती है, ऐसा अनुमान एक विदेशी ब्रोकरेज हाउस ने लगाया है।
जर्मन ब्रोकरेज हाउस डॉयचे बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि भले ही मई महीने में महंगाई दर में कमी आई हो लेकिन मानसून में देरी को देखते हुए महंगाई को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही ठीक नहीं होगी। डॉयचे बैंक ने अपने अनुमान में कहा है कि २०२३-२४ में सीपीआई यानी खुदरा महंगाई दर ५.२ फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, आरबीआई ने मौजूद वित्त वर्ष के दौरान ५.१ फीसदी महंगाई दर रहने का लक्ष्य रखा है। डॉयचे बैंक के मुताबिक, फिलहाल मानसून की बारिश सामान्य से ५३ फीसदी कम हुई है। क्योंकि मानसून की सुस्त शुरुआत के कारण जुलाई में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में हमेशा उछाल देखने को मिलता है। इसलिए इस बार हिंदुस्थान में महंगाई बढ़ सकती है। डॉयचे बैंक ने कहा कि २००९ और २०१४ में कमजोर मानसून के चलते खाद्य महंगाई में उछाल देखने को मिला था। ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि प्याज, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकता है।
४९ फीसदी घटी खरीफ की बुआई
मानसून में देरी के कारण खरीफ फसलों की बोआई पिछड़ रही है। चालू खरीफ सीजन में अब तक पिछले सीजन से खरीफ फसलों की बोआई में करीब ४९ फीसदी कमी आई है। सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। गन्ना की बुआई तो शुरू ही नहीं हो पाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, खासकर मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बोआई काफी कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब तक १६ जून तक करीब ४९.४८ लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है। पिछली समान अवधि में यह आंकडा ९७.८४ लाख हेक्टेयर था। इस तरह खरीफ फसलों की बोआई पिछले साल की तुलना में अब तक करीब ४९ फीसदी कम हुई है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के रकबे में भी गिरावट दर्ज की गई है। अब तक करीब ५.३२ लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि के रकबा ६.२३ लाख हैक्टेयर से १५ फीसदी कम है। गन्ने की बोआई अभी तक शुरू नहीं हुई है। खरीफ फसलों में सबसे ज्यादा दलहन फसलों की बुआई में कमी देखी जा रही है। अब तक १.८० लाख हेक्टेयर में दलहन फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछली समान अवधि के दलहन रकबा ४.२२ लाख हेक्टेयर से ५७ फीसदी कम है।

विदेशी मुद्रा भंडार में फिर गिरावट
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ९ जून को समाप्त सप्ताह में १.३१८ अरब डॉलर घटकर ५९३.७४९ अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर २०२१ में, देश का विदेशी मुद्रा भंडार ६४५ अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

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