अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
म्हाडा के मुंबई मंडल की ओर से १७३ दुकानों की ई-नीलामी के लिए मार्च में विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें से ६१ दुकानों को आवेदनकर्ताओं से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली यानी खरीददार नहीं मिले। परिणाम स्वरूप शेष बची इन दुकानों की बिक्री के लिए म्हाडा ने एक बार फिर से प्रयास तेज कर दिए हैं। अब यह तय किया जा रहा है कि इन दुकानों की नीलामी के लिए विज्ञापन दिया जाए या ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर इनकी बिक्री की जाए। आम जनता के घर का सपना पूरा करने वाले म्हाडा की ओर से व्यावसायिक गाले (दुकानें) भी बनाए जाते हैं। ऐसी ही विभिन्न योजनाओं के तहत निर्मित मालाड, गोरेगांव, पवई और चारकोप क्षेत्र की १७३ दुकानों की बिक्री के लिए म्हाडा ने विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए लगभग ६०४ इच्छुक आवेदन प्राप्त हुए थे। इन १७३ दुकानों में से ६१ दुकानों को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इनमें स्वदेशी मिल की ३, मुलुंड गवनपाड़ा की १, तुंगा पवई की २, चारकोप की १०, मालवणी की ३१, बिंबिसार की ५ और जोगेश्वरी की १ दुकान का समावेश है। इसके अलावा ७-८ आवेदन तकनीकी कारणों से खारिज कर दिए गए थे।
बिक्री न होने के कारण बेकार पड़ी इन दुकानों के चलते म्हाडा का करोड़ों रुपए का राजस्व अटका हुआ है। साथ ही, इन दुकानों की देखरेख और मरम्मत के लिए म्हाडा को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। ऐसे में इन दुकानों की बिक्री को लेकर म्हाडा ने अब तरह-तरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं।