सामना संवाददाता / मुंबई
म्हाडा के महंगे मकानों की कीमत को लेकर शिंदे सरकार को मुंह की खानी पड़ी है, लगातार आवेदकों की गिरावट के चलते गृह निर्माण मंत्री ने लॉटरी के लिए प्राइवेट बिल्डरों से मिले ३७० घरों के १० से २५ प्रतिशत तक के भाव कम किए हैं। वहीं दूसरी ओर म्हाडा ने अपने १,६६० मकानों की कीमत जस की तस रखी है। यानी किसी भी प्रकार की कीमत में कमी नहीं की गई है। म्हाडा की कीमतों में कमी की जाए। बढ़ती कीमत से आम नागरिकों का म्हाडा के मकानों से मोहभंग होता जा रहा है। लॉटरी के २० दिन होने के बाद भी अभी तक करीब ३० हजार लोगों ने ही फॉर्म भरा है।
म्हाडा मुंबई मंडल द्वारा मुंबई के पहाड़ी गोरेगांव, एंटॉप हिल-वडाला, कोपरी पवई, कन्नमवार नगर-विक्रोली, शिवधाम कॉम्प्लेक्स-मालाड इत्यादि आवासीय परियोजनाओं में विभिन्न आय समूहों के लिए २०३० घरों की म्हाडा ने लॉटरी निकाली है। आसमान छूते मकानों की कीमत को लेकर म्हाडा अपने मूल उद्देश्यों से हटती नजर आई। इसी के चलते इस बार की लॉटरी में लोगों के प्रतिसाद में भारी कमी देखने को मिल रही है। इसको लेकर सरकार की किरकिरी होने से गृह निर्माण विभाग ने मकानों की कीमत कम करने का आश्वासन दिया। कल गृह निर्माण मंत्री ने पत्रकार परिषद में मकानों की कीमत में १० से २५ प्रतिशत कमी करने की घोषणा की। विडंबना है कि म्हाडा ने उन्हीं घरों की कीमत कम की जो घर म्हाडा को प्राइवेट बिल्डरों से सर प्लस के रुप में मिले हैं। उन मकानों की कुल संख्या ३७० है।
मुंबई में मकानों की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को मुंबई में घर लेना अब सपना हो गया है। इस हालात में म्हाडा ही एक मात्र विकल्प था जो अब नहीं रहा।