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लखनऊ पीजीआई का कमाल…छोटी सी डिवाइस से बंद कर दिया 45 दिन के बच्चे का दिल का छेद!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने छोटी सी डिवाइस के माध्यम से 45 दिन के बच्चे के दिल में मौजूद छेद बंद करने में सफलता हासिल की है। संस्थान में इतनी कम उम्र के बच्चे की दिल की सर्जरी का यह पहला मामला है। चार गुणा दो मिलीमीटर आकार की यह विशेष डिवाइस अमेरिका से मंगाकर बच्चे में प्रत्यारोपित की गई। कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. अंकित साहू ने बताया कि गोरखपुर निवासी दंपति को गर्भ के सात माह की अवधि में जुड़वा बच्चे हुए थे। समय पूर्व जन्मे इन बच्चों में से एक को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। करीब आठ सौ ग्राम के इस बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया। जांच करने पर दिल में छेद होने की बात पता चली। दवाओं के माध्यम से दिल का छेद बंद करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। ऐसे में ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में अमेरिका से विशेष पिकोलो डिवाइस मंगाई गई। यह डिवाइस चार गुणा दो मिलीमीटर आकार की थी। सर्जरी करके यह डिवाइस बच्चे के दिल के छेद में डाल दी गई। अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित है। बता दें कि अपनी सकारात्मकता के लिये प्रसिद्ध संस्थान के मुखिया निदेशक पद्मश्री डॉ आर के धीमान के कार्यकाल में लखनऊ पीजीआई को नित नई ऊंचाई हाशिल हो रही है।
फिलहाल उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। अगले सप्ताह उसे वेंटिलेटर से हटाकर छुट्टी देने की योजना है। डॉ. अंकित के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे की उम्र बढ़ने पर ही बच्चे की सर्जरी की जाती है। नई तकनीक से 45 दिन में दिल का छेद बंद करने में सफलता मिली।
उन्होंने बताया कि जन्म से पहले बच्चे के दिल में एक रक्तवाहिका होती है, जो महाधमनी को सांस की धमनी से जोड़ती है। इससे मां से पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त खून बच्चे के शरीर में पहुंचता है। आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद डक्टस आर्टीरियोसस नाम की यह वाहिका, बंद हो जाती है। जब डक्टस आर्टीरियोसस खुला होता है तो इसे पेटेंट डक्टस आर्टीरियोसस या पीडीए कहा जाता है। यही दिल में छेद होता है।
ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. अंकित साहू, डॉ. सुशील, डॉ. कीर्ति, पीजीआई एल्युमिनाई और जबलपुर के डॉ. केएल उमा माहेश्वर शामिल रहे।

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