सामना संवाददाता/ मुंबई
मनपा करीब ६० पुलों को अपने नियंत्रण में लेने के अपने फैसले पर पछता रही होगी, जिन्हें पहले मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) द्वारा मैनेज किया जाता था। मनपा का यह फैसला उसके लिए सिरदर्द बन गया है क्योंकि इस ब्रिज के पीछे लगने वाला खर्च भारी भरकम है। मनपा इन ब्रिजों की मरम्मत के लिए हर साल कई करोड़ रुपए खर्च करती है। इस बात को समझाते हुए एक अधिकारी ने ईस्टर्न वे का उदाहरण देते हुए बताया कि जो ब्रिज सीएसएमटी को चेंबूर से जोड़ता है, उस पर मनपा को मरम्मत के लिए ८० करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। हर साल मानसून के दौरान, जनता को खराब सड़कों के साथ-साथ जानलेवा गड्ढों से भी जूझना पड़ता है। हालांकि, इस बार भी अपना बचाव करते हुए मनपा ने कहा है कि उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली सड़कों का काम समय पर पूरा कर लिया जाता है लेकिन अन्य एजेंसियों द्वारा प्रबंधित सड़कें उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। अब इस समस्या के निवारण के लिए शिंदे-फडणवीस सरकार ने सभी एमएमआरडीए फ्लाईओवरों को मनपा को सौंपने का आदेश दिया है।
नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि एमएमआरडीए पुल डिफेक्टिव दिखते हैं। अब हम सोच रहे हैं कि मनपा हैंडओवर के लिए क्यों तैयार हुई? समस्या का सामना करने के बाद हमने अभी तक महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम द्वारा प्रबंधित पुलों का कब्जा नहीं लिया है क्योंकि हम पहले एमएमआरडीए के पुलों से निपटना चाहते हैं।
मनपा के पुल एमएमआरडीए की पुलों की तुलना में ‘बेहतर’
अधिकारी ने कहा कि तकनीकी संस्थानों आईआईटी बॉम्बे और वीजेटीआई द्वारा किए गए स्ट्रक्चरल ऑडिट के अनुसार, पुलों की लाइफ केवल १०-१५ साल की पाई गई है। कुछ पुलों के पेडस्टल टूटे हुए पाए गए हैं, जबकि पेडस्टल को कम से कम ५० वर्षों तक क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। अधिकारी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि मनपा के पुल एमएमआरडीए की पुलों की तुलना में ‘बेहतर स्थिति’ में है।
बता दें कि हर छह महीने में महानगरपालिका द्वारा प्रबंधित किए जा रहे पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाता है। दिसंबर में किए गए पिछले ऑडिट के अनुसार, १२५ पुल उपयोग के लिए उपयुक्त हैं, जबकि १७० को मामूली मरम्मत की आवश्यकता है, वहीं १०१ में बड़ी मरम्मत की आवश्यकता है, साथ ही ४१ का पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता है और सात खतरनाक स्थिति में हैं। मनपा कुल ४४८ पुलों का प्रबंधन करती है।