मुख्यपृष्ठनए समाचारमोबाइल स्क्रीन ने बढ़ाई ड्राई आईज की परेशानी! ...छोटे बच्चों की सेहत...

मोबाइल स्क्रीन ने बढ़ाई ड्राई आईज की परेशानी! …छोटे बच्चों की सेहत को ज्यादा खतरा

– विशेषज्ञों की राय, समय निश्चित करने की जरूरत
सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना के बाद से बड़े से लेकर बच्चों तक में सभी की जीवन शैली में बहुत ज्यादा परिवर्तन आया है। सभी अब ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने लगे हैं, इसमें सबसे गंभीर स्थिति नौनिहालों की है। ज्यादा समय तक मोबाइल स्क्रीन पर बने रहने से नौनिहालों में ड्राई आई की परेशानी बढ़ गई है। स्क्रीन ने छोटे बच्चों की सेहत पर ज्यादा खतरा पैदा कर दिया है। ऐसे में विशेषज्ञों ने राय दी है कि नौनिहालों की सेहत और आंखों को सुरक्षित रखने के लिए स्क्रीन के समय को निश्चित करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकिएट्री के मुताबिक, बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आनेवाले समय में बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकता है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इंडियन जर्नल ऑफ थेल्मोलॉजी में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक ज्यादा स्क्रीन देखने के कारण बच्चों में ड्राई आंखों की समस्या बढ़ रही है। इसे लेकर हाल ही में मुंबई हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि बच्चों का गेम एडिक्शन आने वाले समय में ड्रग्स और मादक पदार्थों की लत की तरह ही साबित होगा। इससे मानसिक और शारीरिक सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं इसलिए जरूरी है कि इस पर कोई कानून लाया जाए। कुल मिलाकर ज्यादातर इशारे इसी ओर हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन और मोबाइल का इस्तेमाल अच्छा नहीं है। अगर इससे उनकी पढ़ाई का कुछ लेना-देना है तो इसकी लिमिट तय करना और उन्हें इसके हेल्दी यूज और एक्टिविटीज के बारे में बताना जरूरी है।

स्क्रीन टाइम से बढ़ रही हैं मुश्किलें
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि कपूर ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद जैसे-जैसे प्रतिबंध कम होने शुरू हुए सारी गतिविधियां अपने पुराने रंग में लौटने लगीं। इसी बीच सबको एहसास हुआ कि उनका स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। बच्चे इस दौरान अपनी पढ़ाई के लिए भी स्क्रीन के भरोसे थे तो उनके लिए यह समस्या और भी बड़ी हो गई। पढ़ाई के अलावा भी उनका लंबा समय स्क्रीन के साथ बीतने लगा, जो अभी तक जारी है। अब इसके नुकसान सामने आने शुरू हो गए हैं।

घट रहा है अटेंशन स्पैन
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.सुभांगी अंबाडेकर ने कहा कि स्क्रीन के साथ ज्यादा समय बिताने का नतीजा ये है कि अब सबका अटेंशन स्पैन कम हो रहा है और फोकस घट रहा है। बीते कुछ समय में बच्चों और किशोरों का स्क्रीन टाइम अधिक बढ़ा है तो इसका असर भी उनमें अधिक देखने को मिला है। अटेंशन स्पैन घटने से उनकी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई, पारिवारिक संबंध और फिजिकल फिटनेस पर बुरा असर पड़ा है।

अन्य समाचार

जिम छोड़ दो