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ब्रेन को बीमार कर रहीं अत्याधुनिक जीवनशैली! …चिकित्सों की सलाह बिना देर किए लाएं सुधार

सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले कुछ वर्षों में मुंबई समेत देश के बड़े महानगरों में लोगों की जीवनशैली में तेजी से परिवर्तन आया है, लेकिन अब यही अत्याधुनिक जीवनशैली शरीर के विभिन्न हिस्सों को बीमार कर रही है। इसमें शरीर का अभिन्न अंग ब्रेन का भी समावेश है। चिकित्सकों के मुताबिक जीवनशैली की ये आदतें मूक हत्यारी बनती जा रही हैं। ऐसे में बिना देर किए इसमें सुधार लाने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दशक में जीवन-शैली संबंधी बीमारियां केंद्र से लेकर राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय बनती गई हैं। स्वास्थ्य और आहार विशेष निरंतर लोगों से अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाने, आहार संबंधी सतर्कता बरतने का आह्वान करते रहे हैं। मगर उसका अपेक्षित असर नहीं देखा जाता। खासकर पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह लोगों की खानपान संबंधी आदतें बदली हैं, उससे कई नई तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं। स्वास्थ्य संबंधी इन नई समस्याओं की गिरफ्त में बच्चों और युवाओं को अधिक देखा जा रहा है। मोटापा और मधुमेह अब युवाओं के बीच आम समस्या की तरह उभरे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि ५६.४ फीसदी बीमारियां अस्वास्थ्यकर खानपान की वजह से होती हैं।
युवा ब्रेन के हेल्थ को पहुंचा रहे नुकसान
मुंबई के जसलोक अस्पताल में न्यूरोसर्जन डॉ. राघवेंद्र रामदासी ने कहा कि कई युवा रोगी अनजाने में कुछ आदतों के कारण अपने ब्रेन के हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अपर्याप्त नींद, अत्यधिक स्क्रीन टाइम, शारीरिक व्यायाम की कमी, अस्वास्थ्यकर आहार, तनाव, मादक द्रव्यों का सेवन और एक साथ कई काम करना आम बात है। नींद की कमी संज्ञानात्मक कार्यों को बाधित करती है।

माता-पिता को रखनी चाहिए बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नजर
विशेषज्ञ डॉ. विक्रम ने कहा कि बचपन में बनी आदतों के मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर कई दीर्घकालिक दुष्प्रभाव होते हैं। बार-बार स्क्रीन पर समय बिताना, अस्वास्थ्यकर आहार और नींद की कमी संज्ञानात्मक विकास को बाधित करती है, जिससे कभी-कभी अपरिवर्तनीय मस्तिष्क क्षति होती है। उन्होंने सलाह दी कि माता-पिता को स्क्रीन के उपयोग पर नजर रखनी चाहिए। न्यूरो और स्पाइन सर्जन डॉ. अरविंद भटेजा ने कहा कि ४० से ५० वर्ष के बीच के वयस्कों में मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करने वाली आदतों के प्रभाव को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

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