अन्य राज्यों की तुलना में पूरे देश में सबसे ज्यादा राजस्व महाराष्ट्र उत्पन्न करता है। पर केंद्र की मोदी सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है। मोदी सरकार की नीतियां महाराष्ट्र की गरीबी को कम करने में असफल साबित हुई है। यह स्थिति इसलिए है क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार आम आदमी के लिए नहीं, बल्कि अमीरों और उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। इस सरकार को हिंदुस्थान की गरीब जनता की कोई परवाह नहीं है। यह सरकार केवल जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने में लगी हुई है। शायद यही वजह है कि महाराष्ट्र में गरीबी कम नहीं हुई है।
हाल ही में ‘नीति’ आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें यह खुलासा हुआ कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र में गरीबी कम करने में बुरी तरह फेल रही है। एक तरह से यह नीति आयोग की नाकामी है। केंद्र सरकार पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र में गरीबी कम नहीं कर पाई है। यह ‘नीति’ आयोग के आंकड़ों से स्पष्ट है।
गौरतलब है कि गत सोमवार को नीति आयोग ने २०१५-१६ से २०१९-२१ तक पांच साल के लिए राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी को तीन माध्यम से आंका जा सकता है। स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, लेकिन रिपोर्ट में यह बात सामने आ गई है कि केंद्र सरकार ने पूरी तरह से महाराष्ट्र की जनता से मुंह मोड़ लिया है।
राज्य को नहीं मिलीr आर्थिक मदद
पिछले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के गरीब लोगों को केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका योजनाओं के लिए रुपए उपलब्ध नहीं कराए गए। यही कारण है कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र में गरीबी कम करने में विफल रही है। हालांकि, रिपोर्ट में हिंदुस्थान में गरीबों की संख्या में ९.८९ प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी का दावा किया गया है। लेकिन महाराष्ट्र में यह आंकड़ा केवल ६.९९ प्रतिशत है, जबकि पंजाब में यह आंकड़ा केवल ०.८२ प्रतिशत है।