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शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने में नाकाम रही है मोदी सरकार! … आम बजट में भी मिल सकता है झुनझुना

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
हिंदुस्थान के विकास की नींव यहां के युवाओं पर टिकी हुई है। इसलिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है। हालांकि अब तक शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने में नाकाम रही मोदी सरकार से २३ जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में दूसरे सेक्टरों की तरह शिक्षा जगत से जुड़े लोग और युवा वर्ग खास घोषणाओं का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि संभावना यही है कि इन सभी के अरमानों पर पानी फिरनेवाला है। साथ ही हर बार की तरह इस बार भी मोदी सरकार उन्हें केवल झुनझुना ही पकड़ाएगी।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने वर्ष २०२३-२४ के लिए पेश किए गए अंतरिम बजट में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को १,१२,८९८.९७ करोड़ रुपए का आवंटन किया था। साथ ही यह भी बताया गया था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के लागू करने के साथ शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार किए जा रहे हैं। स्कूली शिक्षा के बजट में भले ही ५०० करोड़ रुपए से अधिक की बढ़ोतरी की गई थी, लेकिन हायर एजुकेशन के लिए बजट पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमान से ९,६०० करोड़ रुपए से अधिक कम कर दिया गया था। पिछले अंतरिम बजट में यूजीसी के लिए फंडिंग को पिछले वर्ष के ६,४०९ करोड़ रुपए से घटाकर २,५०० करोड़ रुपए कर दिया गया था, जो ६०.९९ प्रतिशत की गिरावट थी। बता दें कि १.५ मिलियन से अधिक स्कूलों और २५० मिलियन से अधिक छात्रों वाले देश में मजबूत शैक्षणिक सहायता और आवश्यक संसाधन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। बढ़ी हुई फंडिंग कक्षाओं में डिजिटल उपकरणों के एकीकरण की सुविधा प्रदान कर सकती है। हालांकि, मोदी सरकार हर साल शिक्षा खासकर उच्च शिक्षा की अनदेखी करते आ रही है, जो युवाओं के भविष्य पर संकट पैदा कर सकता है। हालांकि, २३ जुलाई को पेश होनेवाले आम बजट से युवाओं को खास अपेक्षाएं है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि मोदी ३.० सरकार उनकी अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है।

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की हो घोषणा
प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की घोषणा की जानी चाहिए। देश में उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक प्राधिकरण बनाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक को फिर से प्रस्तुत किया जा सकता है। साथ ही, अगली पीढ़ी के लिए शिक्षा को पसंद के करियर के रूप में बदलने के लिए निवेश और इरादे में वृद्धि के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
आनंद कुमार पांडेय, संचालक, गूंजना स्कूल

ड्रॉप आउट की समस्या को किया जाए दूर
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अध्यापक ने कहा कि बहुत से छात्र देश में गरीबी के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं। इतना ही नहीं कई दूर-दराज के इलाकों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने की वजह से भी उनकी पढ़ाई छूट जाती है। खासतौर पर माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के ड्रॉप आउट का आंकड़ा ज्यादा बढ़ा है। सरकार को इसे रोकने के लिए गरीबी उन्मुलन, स्कूल के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि को शामिल करना चाहिए।  एड. विनयकुमार सिंह,
ठाणे

पोषण को दें बढ़ावा
बच्चों की शिक्षा तभी बेहतर हो सकती है, जब वे स्वस्थ हों। ऐसे में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल के लिए पोषण २.० को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे बच्चों को पर्याप्त आहार मिल सके। साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम को नया स्वरूप देने आदि के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाए जाना चाहिए।
एड. दरम्यान सिंह बिष्ट, ठाणे

रोजगार शिक्षा पर दें ध्यान
पाठ्यक्रम को अपडेट करने, इनक्यूबेशन सेंटर खोलने और उद्योग-अकादमिक सहयोग, सिलेबस में सुधार, इनक्यूबेशन सेंटर आदि को शामिल करते हुए स्नातकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए युवाओं को कौशल विकास से जुड़ी शिक्षा देनी चाहिए। इसके अलावा ऐसे छात्रों की बेहतरी के लिए अप्रेंटिसशिप को कानूनी अधिकार बनाने पर विचार करना चाहिए।
लक्ष्मी मौर्य, संचालक, संस्कार क्लासेस

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