मुख्यपृष्ठनए समाचारमोदी सरकार की बेरुखी : पुराने बुलेट प्रूफ जैकेट संग ... आतंकियों...

मोदी सरकार की बेरुखी : पुराने बुलेट प्रूफ जैकेट संग … आतंकियों से जंग लड़ रही है सेना! … ९ वर्षों से आतंकी कर रहे स्टील बुलेट्स का इस्तेमाल

 ६ इंच मोटी बख्तरबंद वाहनों में भी कर देती है छेद
सुरेश एस डुग्गर / जम्मू
मोदी सरकार भले ही सेना को मजबूत करने का दावा करे पर सच तो यह है कि सैनिकों के पास ढंग के बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं हैं, जो उन्हें स्टील बुलेट्स की मार से बचा पाएं। आतंकी इन स्टील बुलेट्स का इस्तेमाल गत ९ वर्षों से कर रहे हैं पर
हमारी सेना पुराने बुलेटप्रूफ जैकेट से जंग लड़ रही है।
हालिया राजौरी व पुंछ हमले में भी स्टील बुलेट्स का इस्तेमाल किया गया था। सेना की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ी हैं, क्योंकि वह अभी तक अपने सभी सैनिकों को अत्याधुनिक लेवल ४ की बुलेटप्रूफ जैकेट्स मुहैया नहीं करवा पाई है। पुराने जैकेट इन गोलियों को झेल नहीं पा रहे हैं। इन गोलियों का इस्तेमाल कर आतंकी दहशत भी इसलिए फैला रहे हैं, क्योंकि ये बख्तरबंद वाहनों को भी भेद रही हैं, इसी कारण अधिकतर सैनिकों की जानें गई हैं। स्टील गोलियों से आतंकी जवानों की बुलेटप्रूफ जैकेट्स, बुलेटप्रूफ टोपियों व पटकों को भेदने में कामयाब रहे। यहां तक कि बख्तरबंद वाहन भी इन गोलियों की मार को सहन नहीं कर पाए थे। ये बुलेट्स बेहद घातक होती हैं। सबसे पहले स्टील बुलेट का इस्तेमाल आतंकियों ने अगस्त २०१६ में पुलवामा में किया था। स्टील बुलेट एक खास तरह के मजबूत स्टील से बनती है। यह छह से सात इंच मोटी स्टील की चादर या बुलेटप्रूफ को भी आसानी से भेद सकती है। कश्मीर में आतंकियों के पास यह स्टील बुलेट पाकिस्तान से पहुंचती है और पाकिस्तान को चीन ने इनकी तकनीक दी है।

अन्य समाचार