सामना संवाददाता / नई दिल्ली
आरबीआई के गवर्नर रहे उर्जित पटेल पर पीएम मोदी की एक टिप्पणी इन दिनों सुर्खियों में है। उर्जित पटेल ने १० दिसंबर, २०१८ को आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद कहा जा रहा था कि सरकार के साथ उनकी पटरी ठीक नहीं बैठ रही थी। अब इस बात का खुलासा पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी किताब में भी किया है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की किताब में उर्जित पटेल को लेकर कई बड़े खुलासे किए गए हैं। उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार उर्जित पटेल को ‘पैसे के ढेर पर बैठने वाला सांप’ कहा था।
गर्ग ने अपनी आगामी किताब, जिसका शीर्षक ‘वी आल्सो मेक पॉलिसी’ है, में खुलासा किया है कि उर्जित पटेल के खिलाफ पीएम मोदी ने यह टिप्पणी १४ सितंबर २०१८ को एक आर्थिक समीक्षा बैठक में की थी। गर्ग की इस किताब के कुछ अंश एक अखबार में प्रकाशित किए गए हैं। इसमें उर्जित पटेल के इस्तीफे तक की बैठक और घटनाओं का विवरण दिया गया है। इस किताब में तब की सरकार और आरबीआई के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। किताब के मुताबिक, १४ सितंबर २०१८ की बैठक में पीएम मोदी ने आर्थिक स्थिति की समीक्षा के दौरान निराशा व्यक्त की थी। लगभग दो घंटे चले इस बैठक में उर्जित पटेल ने सिफारिशें प्रस्तुत कीं, जो सरकार पर केंद्रित थीं। गर्ग की किताब के मुताबिक, ‘पटेल ने कुछ सिफारिशें पेश कीं। इसमें कहा गया कि सब कुछ सरकार को करना है। आरबीआई का फोकस उस पर ही है, जिसे वह पहले से ही काम कर रहा है। गर्ग का कहना है कि पटेल की धारणा से ऐसा लग रहा था कि वह आरबीआई की स्थिति को प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं कर रहे हैं और आर्थिक चुनौतियों से निपटने या सरकार के साथ मतभेदों को हल करने के लिए कोई कदम उठाने को तैयार नहीं हैं।’ इस बैठक के दौरान ही पीएम मोदी ने उर्जित पटेल की तुलना ‘पैसे के ढेर पर बैठने वाले सांप’ से की। मोदी ने पटेल से आग्रह किया कि वे एक बोर्ड बैठक बुलाएं और मौजूदा मुद्दों का समाधान खोजने के लिए वित्त मंत्री के साथ परामर्श करके काम करें। आरबीआई और सरकार के बीच विवादास्पद मामलों में से एक मामला आरबीआई से सरप्लस फंड के ट्रांसफर का भी है।