१० वर्षों में रेल बना आवागमन का सबसे असुरक्षित साधन
`कवच’ पर कांग्रेस ने फिर उठाए सवाल
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
साल-दर-साल हो रही रेल दुर्घटनाओं को देखते हुए अगर ये कहा जाए कि मोदी सरकार के राज में रेलवे की वाट लग गई है तो कोई गलत नहीं होगा। देश में रेलवे को आवागमन का सबसे सुरक्षित साधन माना जाता था, लेकिन पिछले एक दशक में यह स्थिति बदल गई है। पिछले पांच वर्षों में सुरक्षा पर १.०८ लाख करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद रेलवे अब आवागमन का सबसे असुरक्षित साधन बन गया है। रेलवे की सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस ने एक बार फिर `कवच’ प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में रेलवे की सुरक्षा में भारी निवेश भी किया। सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने १.०८ लाख करोड़ रुपए का भारी-भरकम बजट आवंटित किया, जो कि भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे बड़ा सुरक्षा निवेश माना जा रहा है। इस निवेश का उद्देश्य रेलवे के बुनियादी ढांचे को सुधारना, नई तकनीकों को अपनाना और सुरक्षा मानकों को बढ़ाना था। इन प्रयासों के बावजूद रेलवे दुर्घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है।
जनता में असंतोष
रेलवे यात्रियों में बढ़ती असुरक्षा और सरकार की ओर से किए गए वादों के बावजूद स्थिति में सुधार न होने के कारण जनता में असंतोष बढ़ रहा है। यात्रियों का कहना है कि जब सरकार ने सुरक्षा पर इतना बड़ा बजट खर्च किया है, तो हादसों की संख्या में कमी आनी चाहिए थी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।