कहने को तो हम विकासशील देश में रहते हैं, जहां की मोदी सरकार हिंदुस्थान के विकास की बात करती है। पिछले १० वर्षों में मोदी सरकार ने भले ही `विकास’ की डींगें हांकी हों लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी दूर है। मोदी सरकार एक्प्रेस-वे और गांव-गांव तक सड़क पहुंचाने के दावे तो कर रही है लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में रहनेवाले आदिवासियों को बेहद बुरी अवस्था में रहना पड़ता है। यहां पर आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां अच्छी सड़क न होने से एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती और पूरा सिस्टम चारपाई पर दिखाई देता है। फिर चाहे कोई बीमार हो या प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल ले जाना हो, सब चारपाई पर दिखाई देते हैं। दरअसल, सबको चारपाई पर ले जाना होता है और तब कहीं जाकर अस्पताल तक पहुंच पाते हैं।
हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक चौंकानेवाला दृश्य देखने को मिला, जहां के आदिवासी आज भी सिस्टम की मार झेल रहे हैं।
बता दें कि जिले से करीब १०० किलोमीटर दूर जनपद पंचायत बकस्वाहा के गांव हिरदेपुर में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। ये आदिवासी बाहुल्य गांव है। ग्रामीण आदिवासी सड़क ओर मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी परेशान हैं। गांव की आदिवासी महिला जंगी बारेला (४० साल) को अचानक सीने में दर्द होने लगा। सड़क न होने के कारण ग्रामीणों ने चारपाई पर लिटाया और १ किलोमीटर तक का सफर पैदल शुरू कर दिया। फिर वाहन से बकस्वाहा लेकर पहुंचे। वहीं, डॉ. शिवांश असाटी ने जिला अस्पताल के लिए मरीज को रेफर कर दिया। एम्बुलेंस को बुलाया तो भी नहीं आई। स्थानीय निवासी प्रताप बारेला कहते हैं `उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।