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मोहन सरकार की मेहरबानी … पलायन को मजबूर हैं मजदूर! मनरेगा का काम कर रही हैं मशीनें

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने पलायन पर प्रतिबंध लगाने के लिए गांवों में मनरेगा के तहत काम तो खोला और लोगों को काम देने का वादा भी किया है। वैसे जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र द्वारा मजदूरों से काम न कराकर मशीनों से काम कराया जाता है और मजदूर फिर से बेरोजगार होकर पलायन कर बाहर जाने को मजबूर हो जाते हैं। वहीं सीईओ जिला पंचायत जिले में भारी मात्रा में काम चालू होने का दावा कर रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस मजदूरों के पलायन पर सरकार को आड़े हांथों भी ले रही है।
बता दें कि उमरिया के रेलवे स्टेशन पर जिले के ग्राम पंचायत बिलासपुर, हर्रवाह, मझौली खुर्द के लगभग सैकड़ों गरीब ग्रामीण आदिवासी पलायन कर रहे हैं। यहां के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक मिलकर ग्रामीणों को काम न देकर मशीनों से काम करा रहे हैं। इससे मजदूर आज एक बार फिर दूसरे जिलों और प्रदेशों का रुख कर रहे हैं। ये सभी आदिवासी मजदूर बताते हैं कि हमको काम नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं पंचायत का सारा काम मशीनों से हो गया है, इसलिए हम अपना पेट भरने के लिए बाल-बच्चे लेकर मजदूरी करने अन्यत्र जा रहे हैं।
उमरिया जिले से होने वाले पलायन को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि भाजपा केवल हवा में बातें करती है। आज भी हजारों युवा प्रदेश से बाहर जाकर काम कर रहे हैं और बाद में ठगे भी जाते हैं। वहीं पंचायतों में काम नहीं मिलता है, अधिकतर काम जेसीबी मशीन से हो जाता है। यही वजह है कि मजदूर अपना पेट भरने के लिए जिले से हर रोज बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। वहीं सीईओ जिला पंचायत उमरिया अभय सिंह ओहरिया जिले में चल रहे कार्यों की लंबी चौड़ी सूची गिनाते हैं। वे काम उपलब्ध कराने का दावा करते हुए यह भी कहते हैं कि यदि पलायन की स्थिति है और कोई जा रहा है तो हम लोग नहीं रोक सकते।

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