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महाराष्ट्र में दिखा मानसून का कहर! … मौज के लिए गए युवक की झरने में हुई मौत

 डोंबिवली में पेड़ की टहनी टूटी, टला बड़ा हादसा
सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई में अभी मानसून ठीक तरह से आया भी नहीं है और उसका कहर जगह-जगह देखने को मिला। कल रुकरुक कर हुई बारिश में ही मनपा के मानसून पूर्व किए दावों की पोल खुल गई। जहां एक ओर कोंडेश्वर के झरने में युवक की डूबने से मौत हो गई तो वहीं डोंबिवली में एक पेड़ की टहनी टूट गई। हालांकि, इससे कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन कोई बड़ा हादसा हो सकता था। कल मरीन ड्राइव से एक महिला मरते-मरते बची। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है। हालांकि, इससे पहले भी पिछले सप्ताह बदलापुर के पास ही तीन लोगों की डूबने से मौत हुई थी।
गौरतलब है कि नवी मुंबई के कोपरखैरणे निवासी और कंप्यूटर बीएससीआईटी इंजीनियरिंग के छात्र अनूप मिश्रा (२२) की कोंडेश्वर स्थित झरने में नहाने के दौरान डूबकर मौत हो गई। अनूप अपने तीन दोस्तों के साथ सुबह पांच बजे कोंडेश्वर के लिए निकला था। सुबह साढ़े छह बजे के करीब कोंडेश्वर पहुंचने के बाद नहाते समय अनूप और एक अन्य दोस्त डूबने लगे। एक दोस्त को बचा लिया गया, लेकिन अनूप नहीं बच सका। स्थानीय लोगों ने अनूप के शव को झरने से बाहर निकाला, जिसे बदलापुर ग्रामीण पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
मूलरूप से मध्यप्रदेश के रीवा का रहने वाला अनूप अपने परिवार में सबसे छोटा था। उसका एक बड़ा भाई और बहन है। अनूप को नए-नए जगहों पर घूमने का बहुत शौक था और वह अपने दोस्तों से कहता था कि जब वह नौकरी पर लगेगा तो अपने परिवार और दोस्तों को अच्छी जगहों पर घुमाएगा। अनूप के एक दोस्त ने बताया कि वे पिछले चार-पांच दिनों से यहां आने की योजना बना रहे थे। कुछ दोस्तों ने अपने घर पर कोंडेश्वर शिवमंदिर के दर्शन के लिए निकलने की बात बताई थी। इस हादसे ने अनूप के परिवार और उसके दोस्तों को गहरे शोक में डाल दिया है, जो इस असमय दुखद घटना को स्वीकार करने में असमर्थ हैं।
गौरतलब है कि कोंडेश्वर में २१ वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र, अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गया था। बारिश के कारण झील का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे अनूप डूब गया। बचाव कार्य के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। इस दुर्घटना ने प्रशासन की तैयारी की कमी को उजागर कर दिया है। मृतक के पिता, रमेश मिश्रा ने कहा, `यदि मनपा ने समय रहते जलभराव वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के उपाय किए होते, तो आज मेरा बेटा जीवित होता।’

डोंबिवली में पेड़ की टहनी टूटी, टला बड़ा हादसा
गुरुवार दोपहर साढ़े चार बजे डोंबिवली के पेंढारकार कॉलेज के सामने और एमआईडीसी कार्यालय के पास सड़क पर एक बड़े पेड़ की टहनी टूटकर लटकी हुई पाई गई। संयोग से, यह टहनी किसी वाहन या व्यक्ति पर नहीं गिरी, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। स्थानीय निवासियों और कॉलेज के छात्रों ने तुरंत इस घटना की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी। कई बार केडीएमसी को पत्र और शिकायतें दी गई हैं कि मानसून से पहले पेड़ों की टहनियों की छंटाई की जाए, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए केडीएमसी जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाए और मानसून से पहले पेड़ों की टहनियों की छंटाई सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

मरीन ड्राइव में बाल-बाल बची महिला
मुलुंड की रहने वाली स्वाति कनानी घूमने के लिए मरीन ड्राइव आई थीं। इसी दौरान मरीन ड्राइव की चट्टान से उनका पैर फिसल गया और वह सीधे नीचे गिर गर्इं। वे मरीन ड्राइव पर रखे सुरक्षात्मक पत्थरों पर गिरीं। इसके बाद वहां मौजूद लोग पुलिस के पास पहुंचे। सौभाग्य से, पुलिस समय रहते महिला को बचाने में कामयाब रही क्योंकि वह पानी में नहीं गिरी थी।

हाइलाइट्स :
 मनपा की लापरवाही और कमजोर तैयारियों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि हर साल की तरह इस साल भी मानसून के आगमन से पहले कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। प्रशासन ने सिर्फ कागजी कार्यवाही और दावे किए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
 मुंबई की जनता प्रशासन से उम्मीद करती है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। मानसून के दौरान जनता की सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

कोंडेश्वर मंदिर से लगे पहाड़ी किनारे बरसात के दौरान झरने का रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे में पिछले कुछ समय से ठाणे, मुंबई, नवी मुंबई आदि जगहों से घूमने के लिए आने वालो की संख्या अधिक है लोगों को गहराई का अंदाज न होने के कारण डूबने से मौत हो जाती है पुलिस द्वारा यहां बोर्ड भी लगाए गए हैं फिर भी लोग लापरवाही बरतते नजर आते हैं। इसके लिए प्रशासन को यहां सुरक्षा के पुलिस या सुरक्षा कर्मचारी नियुक्त करने चाहिए।
-विनय मिश्रा,अंबरनाथ

खारघर के पांडवकड़ा डैम में हर साल दर्जनों युवकों की जान जाती है। पुलिस और वन विभाग की तरफ से मानसून के दौरान पाबंदी लगाई जाती है लेकिन ठोस सुरक्षा के उपाय नहीं किए जाते हैं। प्रशासन को इस तरह के डैम या झरनों के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। इस से आने वाले लोगों को सुरक्षा मिलने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए प्रशासन को सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
-राजाराम दुबे, नवी मुंबई

अंबरनाथ के आस-पास के पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान छोटे-बड़े झरनों के पास तालाब बन जाते हैं। ऐसे में युवा इन झरनों के पास जाते ही इसके शिकार बन जाते हैं। ऐसे में प्रशासन को मानसून शुरू होने से पहले ऐसे झरनों के पास तैयार होने वाले डैम को बंद कर देना चाहिए, सुरक्षा के उपाय करने चाहिए।
-मुन्ना चौरसिया, कल्याण

 

 

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