डॉ. दीनदयाल मुरारका
व्यवसाय की सफलता का एक ही मूल मंत्र है, ग्राहकों की संतुष्टि। यदि हम हमारे व्यवसाय या उत्पाद से ग्राहकों को संतुष्टि दे सकते हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत हमारे व्यवसाय को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। टाटा एवं बड़े इंडस्ट्री हाउस की नींव ही ग्राहकों के संतोष पर रखी गई है। इसलिए वे लोग इतने लंबे समय तक सफलतापूर्वक उद्योग में अपना अग्रणी स्थान बनाकर रख पाए। एक किसान का बेटा जब ९-१० साल का हुआ तो किसान कभी-कभार उसे भी अपने साथ खेत पर ले जाने लगा। एक बार जब वह अपने बेटे को खेत पर ले गया तो भुट्टे पक चुके थे। किसान उन्हें तोड़कर बाजार में ले जाने की तैयारी में जुट गया। तभी उसके बेटे ने कहा, ‘पिताजी क्या मैं भी आपकी मदद कर सकता हूं?’ इस पर किसान ने कहा, ‘हां, ऐसा करते हैं, मैं खेत से भुट्टे तोड़-तोड़ कर निकालकर लाता हूं और तुम एक-एक दर्जन की अलग-अलग ढेरियां बनाते जाना।’ फिर उसने हर एक ढेरी में एक-एक भुट्टा बढ़ा दिया। यह देखकर किसान का बेटा बोला, ‘पिताजी, मुझे गिनती आती है। मैंने इन ढेरों में गिनकर १२ भुट्टे ही रखे हैं। अब तो यह १३ हो गए।’
किसान ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘बेटा, तुम ठीक कहते हो। लेकिन जब हम भुट्टे बेचने निकलते हैं। तो एक दर्जन में १३ भुट्टे होते हैं।’ बेटे ने पूछा, ‘ऐसा क्यों पिताजी?’ किसान ने बेटे को समझाया, ‘देखो, भुट्टे के ऊपर छिलका होता है। हमारे ढेर में एक भुट्टा खराब भी निकल सकता है। इसलिए हम ग्राहकों को हर एक दर्जन पर एक भुट्टा अतिरिक्त दे देते हैं, ताकि हमारे ग्राहक यह ना समझे कि हमने उन्हें धोखा दिया। इस तरह हमारे भुट्टे और ज्यादा बिकेंगे।’ पिता की इस बात से बेटे को कारोबार का एक अहम सबक मिल गया। ग्राहक की संतुष्टि ही सर्वोपरि है।